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शुक्रवार, 28 अप्रैल 2017

नैनीताल में नाव की सवारी

21  मार्च 2017
हम लोग कार्बेट वाटरफॉल व म्यूजियम देखकर कालाढूंगी से नैनीताल के लिए चल पडे। दोपहर के एक सवा बज रहे थे। इसलिए रास्ते में एक रैस्टोरैंट पर रूक गए और लंच कर लिया। यह रेस्टोरेंट रोड पर ही बना है लेकिन फिर भी यहां बहुत शांत वातावरण था। पता चला की रेस्टोरेंट के ऊपर रूकने के लिए कमरे भी बने है और कुछ लोग रूके भी है। लंच करने के बाद हम यहां से चल पडे। रास्ते में एक जगह काफी भीड लगी थी। मालुम किया तो पता चला की यहां पर पैराग्लाइडिंग होती है,  जिसमे लोग ढलान से कुद जाते है और हवा में उडते रहते है एक पैरासुट के द्वारा। यहां से कुछ दूरी पर खुरपाताल झील भी है। खुरपाताल सडक से थोडा नीचे बनी है, खुरपाताल का शानदार व्यू सड़क से ही दिख रहा था। इसलिए नीचे झील तक नही गए। पास में सड़क पर एक छोटा सा मन्दिर बना है,  मनसा देवी का । थोडी देर रूक कर हम यहां से आगे चल पडे। और सीधा नैनीताल जाकर ही रूके। सबसे पहले होटल पहुंचे। होटल शालीमार में हम पहले भी रूके थे लेकिन अब की बार थोडी साफ सफाई की कमी दिखी इसलिए होटल मालिक को बताया भी की कुछ होटल में साफ सफाई का ध्यान दीजिए तब होटल मालिक ने बताया की जल्द ही वह होटल को नया लुक देंगे तब आपको किसी भी प्रकार की दिक्कत नही होगी। फिर मै और ललित कार को नैनीताल की पार्किंग में लगा आए। पार्किंग की दर सुबह 9 बजे से अगली सुबह 9 बजे तक है जिसके लिए 100 रूपये चुकाने पडे। वापिस होटल पहुंच कर हम सब नैनीझील देखने के लिए होटल से बाहर आ गए।

नैनीझील , नैनीताल 

नैनीताल आए और बोटिंग ना करे तो नैनीताल में आना अधुरा सा लगता है। मुझे बोटिंग करनी थी फिर मेरा बेटा देवांग भी बोटिंग करने को बोल रहा था। इसलिए मैने बोटिंग करने को बोल दिया की मै तो बोटिंग करूंगा ही करूंगा लेकिन ललित ने बोटिंग करने से मना कर दिया। लेकिन बाद में मेरे कहने पर वह राजी भी हो गया और बोटिंग का पूरा लुफ्त भी उठाया। बोटिंग करने के लिए रेट पहले से ही तय है इसलिए आप निश्चित होकर बोट पर सवारी कर सकते है। अगर आपको झील का बडा चक्कर लगाना है तब आपको 210 रूपये देने होंगे नही तो आप छोटे चक्कर के 160 रूपया देकर भी बोटिंग का मजा ले सकते है। हमने दो नाव ले ली। और उस पर सवार होकर झील को और नजदीकी से देखनें का मजा लिया। जब हम होटल से निकले तब मौसम सुहाना था। धूप भी खिली थी,  लेकिन जब हम नाव पर बैठे और नाव झील के बीचो बीच पहुंची तब हवा में इतनी ठंडक आई और बहुत सर्दी लगने लगी। खैर बच्चो को टोपी पहना दी और मैने भी जैकेट की टोपी औढ ली। और सर्द हवा से अपने आप को बचाया। बच्चो के साथ बडो को भी नाव में बैठ कर बडा मजा आ रहा था। बच्चे दोनो नाव की रेस लगा रहे थे। कुछ जल पक्षी झील में तैर रहे थे कुछ पानी में अंदर भी जाकर छोटी मछलियों को खा रहे थे। वैसे इस झील में बहुत मछलियां है और लोग उनको खाने के लिए भी देते रहते है,  देवांग ने भी ब्रेड दिए मछलियों को खाने के लिए। फिर हमने माता नैना देवी के दर्शन किये। और एक रैस्टोरैंट पर डिनर करके वापिस होटल में पहुँच गए।
नैनीताल व झील के बारे आप सब जानते ही है। इसलिए ज्यादा विस्तार से नही लिख रहा हूँ । नैनीताल की झील लगभग 90 फीट गहरी है। और लगभग 1.5 किलोमीटर लम्बी है। इसके दोनो तरफ नैनीताल बसा है एक तरफ तल्लीताल व दूसरी और मल्लीताल। झील के एक किनारे पर माता नैनादेवी का पौराणिक व प्राचीन मन्दिर स्थित है। रात मे नैनीझील के पानी में मॉल रोड की लाईटो का प्रतिबिम्ब देखना बहुत अच्छा लगता है। नैनीताल आप किसी भी मौसम मे आ सकते है। गर्मियों की छुट्टियों में जब स्कूल बंद रहते है तब यहां आने से पहले होटल बुक करा कर ही आए क्योकी यहां पर बहुत भीड हो जाती है। नैनीताल के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जहां से नैनीताल के लिए बस व टैक्सी निरंतर अंतराल में आपको मिलती है।
अब कुछ फोटो देखें जाए...


कालाढूंगी से आगे यहाँ पर लंच लिया था ऊपर कुछ कमरे भी बने है।  
मनसा देवी खुर्पाताल 




खुर्पाताल झील 

देवांग और तनु 
आगे चलते है 


आ गए नैनीताल 

पंत चौक 

बतखें 

बोटिंग के लिए टिकट यहाँ से ख़रीदे। 
ललित एंड फैमली बोटिंग का मज़ा लेते हुए। 


मैं सचिन त्यागी 

नैनीझील 

मैं और मेरा बेटा देवांग 

नैनी झील 


नैनीताल ग्राउंड 


नैनादेवी मंदिर 

नैनादेवी मंदिर 

जय भोलेनाथ 




शाम से समय नैनीताल में एक सेल्फी 

निम्बू मौसमी के बराबर है। 

मॉल रोड नैनीताल 
नैनीताल की वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें। 

गुरुवार, 20 अप्रैल 2017

कार्बेट वाटरफॉल व जिम कार्बेट संग्रहालय (कालाढूंगी, उत्तराखंड)

21  March 2017
जाना था कहां और किस्मत कही और ले गई। जाना था चोपता लेकिन पहुंच गए कुमाऊँ । जी हा मेरे साथ ज्यादातर ऐसा ही होता है। चोपता जाना था अपने छोटे भाई के संग। लेकिन तीन दिन पहले पैर में हल्की मोच आ गई और सब कैंसल हो गया। 19 मार्च को मेरे साले साहब (ललित) ने मुझे कही भी चलने का न्यौता दिया। सोचा हिमाचल की तरफ चले लेकिन जाट आंदोलन की वजह से उत्तराखंड ही जाना तय किया। ललित अपनी फैमली के साथ पहली बार कही घुमने के लिए जा रहा था। इसलिए मैं उसे मना नही कर पाया। ललित ने ही नैनीताल जाना तय किया जबकी मैं नैनीताल जाना नही चाह रहा था। क्योकी मैं नैनीताल कई बार जा चुका हूं। लेकिन टूर उसका था इसलिए नैनीताल जाना मान लिया गया। 21  मार्च की सुबह मै लगभग सुबह के 6 बजे दिल्ली स्थित घर से निकल चला। जल्द ही गाजियाबाद ललित के घर पहुंच गया। फिर वहां से ललित की कार से हम नैनीताल के लिए निकल चले। NH 24 पर चौड़ीकरण हो रहा है जिसकी वजह से हापुड तक थोडा ट्रैफिक मिला। लेकिन फिर रोड पर ज्यादा ट्रैफिक नही मिला। नैनीताल के लिए रामपुर से हल्द्वानी वाला रोड काफी जगह से खराब है इसका पता मैने अपने दोस्तो से पहले ही पता कर लिया था। इसलिए रामपुर से बाजपुर की तरफ चल पडे। रास्ता बिल्कुल बढिया बना है। और सीधा कालाढुंगी निकलता है।

कॉर्बेट वाटरफॉल , कालाढूंगी (उत्तराखंड )


corbett waterfall
कालाढुंगी मे कार्बेट वाटरफॉल नाम का एक टूरिस्ट स्पॉट है। मै इस वाटरफॉल को देखने कई बार आया लेकिन तब हमेशा यह बंद ही मिला। शायद सितम्बर में यह बंद रहता है और मार्च में फिर से खुलता है। एक तिराहे से बांये मुडते ही इसका बाहरी गेट दिख गया। बाहर गेट से टिकेट ले लिॆए (50 रू प्रति व्यक्ति) चूंकि अभी वाटरफॉल 2 किलोमीटर और अंदर था इसलिए कार से जाने पर कार के 100 रू अलग देने पडे। रास्ता जंगल का ही है हमे कुछ नील गाय भी दिखी जो घास खा रही थी। देवांग व अन्य बच्चे उसको देखकर बडे खुश हो रहे थे। पांच सात मिनेट में हम कार्बट फॉल से पहले बनी पार्किंग में पहुँचे और गाडी खडी कर आगे झरने की तरफ पैदल चल पडे। साथ में एक छोटी सी नदी बह रही थी। जो की शायद झरने के पानी से बनी होगी। उसमे बहुत सी छोटी छोटी मछलियां तैर रही थी। नदी को पार करने के लिए लकडी का एक पुल पार किया। और सीधे चलते रहे। थोडी सी चढाई करते ही कार्बेट वाटरफॉल दिख गया। झरने तक हम जा नही सकते है क्योकी झरने के पास जाना व नहाना मना है। लेकिन मैने यू-ट्यूब पर कई विडियो देखी जिसमे लोग ऊपर जाकर नहा रहे थे। खैर हमने ऐसी कोई हरकत नही की। थोडी देर इस झरने की सुंदरता के दर्शन किये। झरने से गिरते पानी की आवाज बहुत अच्छी लग रही थी। कुछ देर नदी के पास जाकर मछलियों को भी देखा और वापिस चल पडे.

यात्रा की शुरुआत ,बृजघाट (गंगा जी )

रामपुर से मुड़ने के बाद बाजपुर पहुंचे। 

बाजपुर के बाद ऐसी सड़क मिली। 

कालाढूंगी नजदीक ही है 

लो जी आ गया कॉर्बेट वाटरफॉल 

अभी 2 किलोमीटर अंदर जाना है 

रुको रुको वो देखो नील गाय या कोई हिरण है 

छोटी सी नदी 

अब थोड़ा पैदल चलना है 

चेतावनी 


आ गया कॉर्बेट वाटर फॉल 

एक सेल्फी 

बच्चा पार्टी 



अच्छा चलते है 


जिम कॉर्बेट म्यूजियम ( जिम कॉर्बेट हाउस ) कालाढूंगी , उत्तराखंड 
corbett museum
कालाढूंगी में ही महान शिकारी व लेखक जिम कॉर्बेट का शीतकालीन घर भी है। जिसे बाद में एक म्यूजियम बना दिया गया है। कॉर्बेट फॉल से लगभग यह एक किलोमीटर दूर है। कालाढूंगी से नैनीताल जाने वाले रास्ते पर ही यह एक तिराहे पर सड़क पर ही स्तिथ है। यह म्यूजियम ग्रीष्मकाल में सुबहे 9 से शाम 6 बजे तक खुलता है। और शीतकाल में 9 से 5 बजे तक। बच्चो का टिकट नहीं लगता है बाकि सभी का 10 रुपए का प्रवेश टिकट है।

जिम कॉर्बेट:- जिम कॉर्बेट ( 25 जुलाई 1875- 19 अप्रैल 1955 ) एक अंग्रेज मूल के भारतीय लेखक व दार्शनिक थे। उन्होंने कालाढूंगी में 1922 में एक घर बनवाया। जहां आज एक म्यूजियम भी बना है। उन्हें भारत बहुत पसंद था और भारत में उत्तराखंड। कुमाऊँ तथा गढ़वाल में जब कोई आदमखोर शेर आ जाता था तो जिम कार्बेट को बुलाया जाता था। जिम कार्बेट वहाँ जाकर सबकी रक्षा कर और आदमखोर शेर को मारकर ही लौटते थे। जिम कार्बेट एक कुशल शिकारी थे। वहीं एक अत्यन्त प्रभावशील लेखक भी थे। उन्होने कई पुस्तके लिखी जो आज तक पंसद की जाती रही है। वह एक मंझे हुए शिकारी थे। बाद में उन्होंने शिकार करना बंद कर दिया उन्होंने जंगलो को सरंक्षित करने की परिक्रिया भी शुरू की। बाद में उन्होंने फोटोग्राफी भी बहुत की। जिम कार्बेट आजीवन अविवाहित रहे। उन्हीं की तरह उनकी बहन( मैगी ) ने भी विवाह नहीं किया। दोनों भाई-बहन सदैव साथ-साथ रहे और एक दूसरे का दु:ख बाँटते रहे। कार्बेट के नाम से रामनगर में एक संरक्षित पार्क भी बना है, जिम कार्बेट के प्रति यह कुमाऊँ-गढ़वाल और भारत की सच्ची श्रद्धांजलि है। इस लेखक ने भारत का नाम बढ़ाया है। आज विश्व में उनका नाम प्रसिद्ध शिकारी के रूप में आदर से लिया जाता है। 

जिम कॉर्बेट हाउस सुनते ही देवांग बड़ा खुश हो गया क्योकि उसने अभी कुछ दिन पहले ही यूट्यूब पर रुद्रप्रयाग का आदमखोर मूवी देखी थी जिसमे जिम कॉर्बेट गांव वालो की मदद करता है एक आदमखोर लेपर्ड को मारकर। इसी मूवी को देखकर देवांग जिम कॉर्बेट का फैन हो गया है। चलो अब कॉर्बेट म्यूजियम चलते है। म्यूजियम में घुसते ही टिकट घर है। टिकट लेने के बाद हम आगे चले। जिम कॉर्बेट साहब की एक मूर्ति लगी है। फिर उससे आगे उनका घर बना है। जहा पर उनकी बहुत सी तस्वीर लगी है, उनकी माँ व एक बहन (मैगी ) की भी फोटो है। उनका बैडरूम , स्टडी रूम ,मीटिंग हॉल सब पुराणी यादो को संजोय आज भी ऐसे ही है। उनकी कुछ किताबे रखी हुई है जब कॉर्बेट साहब ने उन्हें लिखा होगा तो यही लिखा होगा उनकी कुछ निशानिया आज भी मौजूद है। मै और देवांग ही काफी देर तक हाउस में रहे बाकि ललित और सभी बाहर आ गए क्योकि ना तो उन्हें जिम कॉर्बेट के बारे में जानना था ना ही उनके घर के बारे में। यहाँ केवल वही लोग अच्छा महसूस करते है जो जिम कॉर्बेट को जानते है बाकि तो दो नज़र मार के ही वापिस निकलते हुए मिलते है। देवांग भी सभी चीज़ो को बारीकी से देख रहा था और हर सामान को मूवी से ही जोड़ कर देख रहा था और बीच बीच में कुछ सवाल भी पूछ रहा था। बाकि औरो का तो पता नहीं लकिन मैं जिम कॉर्बेट का घर देख कर बहुत अच्छा महसूस कर रहा था। बाहर आ कर हमने एक होटल पर चाय पी और चल पड़े अगली मंजिल की ओर। .. 

यात्रा जारी है .... 
अब कुछ फोटो देखे जाये। ... 
जिम कॉर्बेट म्यूजियम 

जिम कॉर्बेट साहब की मूर्ति के सामने देवांग 

जिम कॉर्बेट हाउस जहा वो अपनी बहन के साथ सर्दियों में रहते थे अब यह एक म्यूजियम है। 


मैं सचिन त्यागी 

जिम कॉर्बेट व उनकी माता का फोटो 


कुछ तस्वीर लगी है उनमे से एक जिसमे जिम अपने सहयोगी के साथ है और एक आदमखोर बाघ 




हाउस के अंदर कभी जिम कॉर्बेट यहाँ रहते थे 

जिम का एक फोटो 

जंगल में जाने की सवारी जिम इसमें बैठ कर जाते थे। 


एक कलाकृति 

जिम कॉर्बेट द्वारा लिखी कुछ पुस्तके जिसमे वो अपनी वो यादें लिखते थे जब वो जंगल में नरभक्षी को मारने जाते थे। 

जिम कॉर्बेट का लैम्प जो मिटटी के तेल से जलता था और पीछे उनकी लिखी पुराणी पुस्तके। 

जिम का फर्नीचर 

इस रैक में कभी जिम अपनी राइफल रखते थे जिससे वो नरभक्षी जानवरो का शिकार करते थे आज केवल गन की फोटो ही लगी है। 

दीवार पर कुछ पुराने फोटो लगे है 

जिम  गेस्ट रूम 

जिम का गेस्ट सचिन त्यागी 

जिम और शिकार 

जिम कॉर्बेट और रुद्रप्रयाग का आदमखोर जिस पर उन्होंने एक किताब भी लिखी है। 

बच्चा पार्टी 

जिम हाउस 


जिम कुछ कह रहे है