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शनिवार, 3 मई 2014

बाटनिकल गार्डन,ऊटी

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22 जून 2013 की दोपहर 1बजे हम ट्रेन से वापिस ऊटी आ गए.अब हमने ऊटी मे बाटनिकल गार्डन की तरफ रूख किया.यह रेलवे स्टेशन से तकरीबन 3 किलोमिटर दूर है,हमने पैदल ही चलने का निर्णय किया क्योकी यहा मौसम बडा सुहाना था ओर थकान हो नही रही थी.हम बाजार की तरफ से चल रहे थे,बाजार मे बडी बडी दुकाने व शोरूम खुले हुए थे.बाजार वाली मुख्य सड़क के पिछे भी एक सडक थी जो मुख्य सडक के साथ साथ चल रही थी पर इस सड़क पर पुराने घर व छोटी दुकाने थी ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे किसी कस्बे की सड़क पर चल रहे हो.मै कह सकता हुं की मुझे ऊटी के दो रूप देखने को मिले थे अलग अलग सडको पर.
आगे एक चौराहा आया जहा से हम दाएं तरफ हो गए ओर बाटनिकल गार्डन पहुच गए.मै टिकेट लेने के लिए टिकट खिडकी पर पहुंचा ओर 5 टिकेट ले लिए,10 रू० प्रति टिकेट के हिसाब से 50रू दे दिए. लेकिन  आप कैमरा ले रहे है तो कैमरे का टिकेट अलग से लगता है.टिकेट लेकर हम सब गार्डन मे अन्दर जा पहुंचे.
यह गार्डन काफी बडे भूभाग मे फैला हुआ है. ओर यहा पर पेडो की कई प्रजाती आपको मिल जाएगी, सभी पेडो पर उनके नाम की प्लेट लगी हुई थी जिससे दर्शक उन्हे पहचान सके. यहा का मौसम इतना अच्छा या यह कहे की पेड पौधो के अनुकूल है की यहा पर सभी प्रकार के पेड,पौधे फलफूल जाते है शायद इसलिए अंग्रेजो ने यहा पर विदेशो से लाए पेड भी लगाए.
यहा हमने फूलो की भी कई किस्मे देखी.तरह तरह के फूल हर जगह,हर कोने पर आपको यहा मिल जाएगे.कुछ पौधो के लिए यहा पर एक ग्रीन हाऊस भी बना है.
यहा पर हमने एक बहुत पुराने पेड का जीवाश्म भी देखा(नीचे फोटो भी है).जिसे 2 करोड साल पुराना बताया गया है.यह गार्डन कही ऊंची व कही नीची भूमी पर बना है.जो प्रकृती के पास होने का अनुभव कराता है.हरियाली यहा चारो ओर फैली हुई थी.रंगबिरंगी तितलिया यहा पर आपको बहुत मिलेगी क्योकी यहा पर हर जगह फूल ही फूल खिलते मिलेगे.
यहा पर कुछ पुराने घर शायद अंग्रेजो के समय के थे जो अब कार्यालय के रूप मे उपयोग मे लाए जा रहे है,यहा पर हमे तीन चार जगह पुरानी तोपे भी देखने को मिली,शायद ये तोपे भी अंग्रेजो के समय की हो.
हम एक जगह पहुंचे तो देखा लोगो की भीड लगी है ओर ज्यादातर सभी फोटो खीच रहे है,हम भी पहुंच गए,देखा तो फूल के पौधो व घास से भारत का नक्शा बना हुआ था.यह नक्शा बहुत सुन्दर लग रहा था लगता भी क्यो नही हमारे भारत का था,तो हमने भी फोटो खिच लिए.
यहा पर झाडियो को एक अच्छे ढंग मे काटकर दिवार सी बनाई हुई थी जो देखने मे बहुत सुन्दर लग रही थी.यहा पर हमने नागफनी(कैक्टस) के कई पौधे देखे. कुल मिलाकर यह गार्डन को काफी संजोकर व सफाई कर के रखा है
हमे घुमते घुमते काफी समय हो गया था,पास मे ही कैन्टीन देखकर वहा चले गए,चाय पी गई ओर बच्चो ने चिप्स ले लिए.शाम हो गई थी इसलिए हम गार्डन से बाहर आ गए ओर घुमते हुए होटल की तरफ चलते चले गए...
यात्रा अभी जारी है......

6 टिप्‍पणियां:

  1. सचिन भाई फोटो वास्तव मे लाजबाब है।

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  2. यहा पर हमने एक बहुत पुराने पेड का जीवाश्म भी देखा(नीचे फोटो भी है).जिसे 2 करोड साल पुराना बताया गया है.यह गार्डन कही ऊंची व कही नीची भूमी पर बना है.जो प्रकृती के पास होने का अनुभव कराता है.हरियाली यहा चारो ओर फैली हुई थी.रंगबिरंगी तितलिया यहा पर आपको बहुत मिलेगी क्योकी यहा पर हर जगह फूल ही फूल खिलते मिलेगे.​बहुत सटीक और सार्थक जानकारी ! वेलकम और भारत का नक्शा , क्या गज़ब तरीके से लिखे गए हैं ! बढ़िया

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  3. उत्तर
    1. जी नवल जी ऊटी की सुंदरता का क्या कहना,हर जगह बेहद खूबसूरत है यहां पर।

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