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गुरुवार, 8 मई 2014

ऊटी झील,ooty lake & deer park

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आज दिंनाक 23 जून को हमने ऊटी की झील देखने का फैसला किया.यह झील मानव निम्रित है जिसे अंग्रेजो ने बनवाया था, ओर यह ऊटी का मूख्य पर्यटक स्थल भी है जैसे नैनीताल की नैनी झील,इसलिए हम सुबह10 बजे नहा धौकर व नाश्ता करके ऊटी झील की तरफ चल दिए.हल्की हल्की बारिश हो रही थी,हम जब से ऊटी आए थे तब से बारिश कभी रूक जाती,कभी पडने लगती,लेकिन मौसम मे ठंडक मौजूद थी.
होटल के पास ही बोट क्लब था जहा से हमने दो बोट किराये पर ले ली.यहा पर 45 मिनट के लिए किराया 120रू० था,इसलिए काऊंटर पर बैठे व्यक्ति ने दो बोट के हिसाब से 240 व 160 रू ओर जमा करा लिए वो इसलिए की कभी हम  तय समय के बाद आए तो वह उन पैसो को हर्जाने के रूप मे जब्त कर ले.उस समय 10:30 का समय हो रहा था उसने हमे 11:15तक आने के लिए बोल दिया.
हम वहा से कुछ नीचे सीढियो से उतर कर नाव(बोट) तक पहुंचे. वहा पर सबने सुरक्षा के लिए लाईफ जैकेट पहन ली ओर चल पडे झील मे बोट को लेकर.झील मे बोट चलाना एक अलग तरह का ही सकुन देने वाला लम्हा था.वैसे तो दिल्ली मे भी कई जगह बोटिग की जा सकती है पर यहा पर चारो ओर पहाड से घीरी व चीड,देवदार के पेडो के बीच बोटिग करने का अलग ही मजा है.यहा पर बत्तख व अन्य जलपक्षी आपको झील मे घुमते मिल जाएगे.
ऊटी मे बोटिग करने के लिए अलग अलग तीन बोट क्लब बने है जहा से आप ऊटी मे कही भी हो आप बोटिग कर सकते है.यहा पर पैडल बोट व इंजन वाली बोट से भी आप झील भ्रमण कर सकते है.
मै लगातार पैडल वाली बोट को चला रहा था इसलिए पैर भी जवाब देने लगे तो इसलिए बीच बीच मे बिना पैडल चलाए ऐसे ही बोट मे बैठे रहते लेकिन जब इंजन वाली बोट नजदीक से निकलती तब हमारी बोट ऐसे ही जाती जैसे समुंद्र मे नाव की स्थति होती है.
हमने दोनो बोटो को साथ साथ ही रखा ओर झील के मध्य तक पहुंच गए जहा से झील को चारो ओर से देखा जा सकता है.वहा हमने झील के किनारे एक हिरण को देखा बाद मे पता चला की यहा एक डियर पार्क भी है जिसे हम बोटिग करने के बाद देखने गए.
काफी देर तक हम बोटिग करते रहे समय देखा तो 11:10 के करीब हो रहा था.तो हम किनारे के ओर चल दिए.किनारे पर आकर बोट साईड मे लगा कर हम ऊपर काऊंटर पर पहुचे ओर बाकी पैसे मांगे पर उसने देने से मना कर दिया ओर घडी दिखाई जो हमारी घडी से 15 मीनट आगे चल रही थी,हमने कहा की तुम्हारी घडी तेज चल रही है पर वह नही माना ओर कहने लगा की मेरी शिकायत कर दो पर मै पैसे नही दूंगा.हम हिन्दी व इग्लिश मे बात कर रहे थे ओर वह तमिल मे ओर टुटी फूटी हिन्दी मे,हमारे साथ फैमली थी इसलिए हम वहा से चले आए, लेकिन हमने देखा की वहा पर कोई भी पुलिस कर्मी मौजूद नही था,नही तो शिकायत जरूर करते.
हम वहा से बाहर आकर व मुड्ड सही करने के लिए सडक किनारे गरमागरम भूट्टे ले लिए, ओर बात करते करते व भूट्टा खाते खाते डियर पार्क की तरफ चल दिए.क्लब हाऊस से डियर पार्क केवल 10 से 15 मिनट के पैदल रास्ते पर ही है या कहे की लगभग 2 km की दूरी पर ही है. डियर पार्क तक रास्ता थोडा ऊंचाई वाला था,पर था बहुत खुबसूरत,यहा सडक किनारे जंगली फूल खिले थे ओर यहा पर बडी शान्ति थी केवल हम ही थे उस सड़क पर कही- कही झील का नजारा भी दिखने को मिल जाता था.
थोडी ही देर मे हम डियर पार्क पहुंच गए यहा पर कोई भी आदमी मौजूद नही था एक बाडा बना था जिसमे तकरीबन आठ,नौ हिरण थे कुछ घास खाने मे मस्त थे तो कुछ आपस मे लड रहे थे.यहा पर कुछ समय गुजार कर हम वहा से चल पडे ऊटी शहर की तरफ
यात्रा अभी जारी है.......

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