21 March 2017
जाना था कहां और किस्मत कही और ले गई। जाना था चोपता लेकिन पहुंच गए कुमाऊँ । जी हा मेरे साथ ज्यादातर ऐसा ही होता है। चोपता जाना था अपने छोटे भाई के संग। लेकिन तीन दिन पहले पैर में हल्की मोच आ गई और सब कैंसल हो गया। 19 मार्च को मेरे साले साहब (ललित) ने मुझे कही भी चलने का न्यौता दिया। सोचा हिमाचल की तरफ चले लेकिन जाट आंदोलन की वजह से उत्तराखंड ही जाना तय किया। ललित अपनी फैमली के साथ पहली बार कही घुमने के लिए जा रहा था। इसलिए मैं उसे मना नही कर पाया। ललित ने ही नैनीताल जाना तय किया जबकी मैं नैनीताल जाना नही चाह रहा था। क्योकी मैं नैनीताल कई बार जा चुका हूं। लेकिन टूर उसका था इसलिए नैनीताल जाना मान लिया गया। 21 मार्च की सुबह मै लगभग सुबह के 6 बजे दिल्ली स्थित घर से निकल चला। जल्द ही गाजियाबाद ललित के घर पहुंच गया। फिर वहां से ललित की कार से हम नैनीताल के लिए निकल चले। NH 24 पर चौड़ीकरण हो रहा है जिसकी वजह से हापुड तक थोडा ट्रैफिक मिला। लेकिन फिर रोड पर ज्यादा ट्रैफिक नही मिला। नैनीताल के लिए रामपुर से हल्द्वानी वाला रोड काफी जगह से खराब है इसका पता मैने अपने दोस्तो से पहले ही पता कर लिया था। इसलिए रामपुर से बाजपुर की तरफ चल पडे। रास्ता बिल्कुल बढिया बना है। और सीधा कालाढुंगी निकलता है।
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यात्रा की शुरुआत ,बृजघाट (गंगा जी ) |
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रामपुर से मुड़ने के बाद बाजपुर पहुंचे। |
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बाजपुर के बाद ऐसी सड़क मिली। |
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कालाढूंगी नजदीक ही है |
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लो जी आ गया कॉर्बेट वाटरफॉल |
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अभी 2 किलोमीटर अंदर जाना है |
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रुको रुको वो देखो नील गाय या कोई हिरण है |
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छोटी सी नदी |
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अब थोड़ा पैदल चलना है |
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चेतावनी |
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आ गया कॉर्बेट वाटर फॉल |
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एक सेल्फी |
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बच्चा पार्टी |
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अच्छा चलते है |
corbett museum
कालाढूंगी में ही महान शिकारी व लेखक जिम कॉर्बेट का शीतकालीन घर भी है। जिसे बाद में एक म्यूजियम बना दिया गया है। कॉर्बेट फॉल से लगभग यह एक किलोमीटर दूर है। कालाढूंगी से नैनीताल जाने वाले रास्ते पर ही यह एक तिराहे पर सड़क पर ही स्तिथ है। यह म्यूजियम ग्रीष्मकाल में सुबहे 9 से शाम 6 बजे तक खुलता है। और शीतकाल में 9 से 5 बजे तक। बच्चो का टिकट नहीं लगता है बाकि सभी का 10 रुपए का प्रवेश टिकट है।
कालाढूंगी में ही महान शिकारी व लेखक जिम कॉर्बेट का शीतकालीन घर भी है। जिसे बाद में एक म्यूजियम बना दिया गया है। कॉर्बेट फॉल से लगभग यह एक किलोमीटर दूर है। कालाढूंगी से नैनीताल जाने वाले रास्ते पर ही यह एक तिराहे पर सड़क पर ही स्तिथ है। यह म्यूजियम ग्रीष्मकाल में सुबहे 9 से शाम 6 बजे तक खुलता है। और शीतकाल में 9 से 5 बजे तक। बच्चो का टिकट नहीं लगता है बाकि सभी का 10 रुपए का प्रवेश टिकट है।
जिम कॉर्बेट:- जिम कॉर्बेट ( 25 जुलाई 1875- 19 अप्रैल 1955 ) एक अंग्रेज मूल के भारतीय लेखक व दार्शनिक थे। उन्होंने कालाढूंगी में 1922 में एक घर बनवाया। जहां आज एक म्यूजियम भी बना है। उन्हें भारत बहुत पसंद था और भारत में उत्तराखंड। कुमाऊँ तथा गढ़वाल में जब कोई आदमखोर शेर आ जाता था तो जिम कार्बेट को बुलाया जाता था। जिम कार्बेट वहाँ जाकर सबकी रक्षा कर और आदमखोर शेर को मारकर ही लौटते थे। जिम कार्बेट एक कुशल शिकारी थे। वहीं एक अत्यन्त प्रभावशील लेखक भी थे। उन्होने कई पुस्तके लिखी जो आज तक पंसद की जाती रही है। वह एक मंझे हुए शिकारी थे। बाद में उन्होंने शिकार करना बंद कर दिया उन्होंने जंगलो को सरंक्षित करने की परिक्रिया भी शुरू की। बाद में उन्होंने फोटोग्राफी भी बहुत की। जिम कार्बेट आजीवन अविवाहित रहे। उन्हीं की तरह उनकी बहन( मैगी ) ने भी विवाह नहीं किया। दोनों भाई-बहन सदैव साथ-साथ रहे और एक दूसरे का दु:ख बाँटते रहे। कार्बेट के नाम से रामनगर में एक संरक्षित पार्क भी बना है, जिम कार्बेट के प्रति यह कुमाऊँ-गढ़वाल और भारत की सच्ची श्रद्धांजलि है। इस लेखक ने भारत का नाम बढ़ाया है। आज विश्व में उनका नाम प्रसिद्ध शिकारी के रूप में आदर से लिया जाता है।
जिम कॉर्बेट हाउस सुनते ही देवांग बड़ा खुश हो गया क्योकि उसने अभी कुछ दिन पहले ही यूट्यूब पर रुद्रप्रयाग का आदमखोर मूवी देखी थी जिसमे जिम कॉर्बेट गांव वालो की मदद करता है एक आदमखोर लेपर्ड को मारकर। इसी मूवी को देखकर देवांग जिम कॉर्बेट का फैन हो गया है। चलो अब कॉर्बेट म्यूजियम चलते है। म्यूजियम में घुसते ही टिकट घर है। टिकट लेने के बाद हम आगे चले। जिम कॉर्बेट साहब की एक मूर्ति लगी है। फिर उससे आगे उनका घर बना है। जहा पर उनकी बहुत सी तस्वीर लगी है, उनकी माँ व एक बहन (मैगी ) की भी फोटो है। उनका बैडरूम , स्टडी रूम ,मीटिंग हॉल सब पुराणी यादो को संजोय आज भी ऐसे ही है। उनकी कुछ किताबे रखी हुई है जब कॉर्बेट साहब ने उन्हें लिखा होगा तो यही लिखा होगा उनकी कुछ निशानिया आज भी मौजूद है। मै और देवांग ही काफी देर तक हाउस में रहे बाकि ललित और सभी बाहर आ गए क्योकि ना तो उन्हें जिम कॉर्बेट के बारे में जानना था ना ही उनके घर के बारे में। यहाँ केवल वही लोग अच्छा महसूस करते है जो जिम कॉर्बेट को जानते है बाकि तो दो नज़र मार के ही वापिस निकलते हुए मिलते है। देवांग भी सभी चीज़ो को बारीकी से देख रहा था और हर सामान को मूवी से ही जोड़ कर देख रहा था और बीच बीच में कुछ सवाल भी पूछ रहा था। बाकि औरो का तो पता नहीं लकिन मैं जिम कॉर्बेट का घर देख कर बहुत अच्छा महसूस कर रहा था। बाहर आ कर हमने एक होटल पर चाय पी और चल पड़े अगली मंजिल की ओर। ..
यात्रा जारी है ....
अब कुछ फोटो देखे जाये। ...
जिम कॉर्बेट हाउस सुनते ही देवांग बड़ा खुश हो गया क्योकि उसने अभी कुछ दिन पहले ही यूट्यूब पर रुद्रप्रयाग का आदमखोर मूवी देखी थी जिसमे जिम कॉर्बेट गांव वालो की मदद करता है एक आदमखोर लेपर्ड को मारकर। इसी मूवी को देखकर देवांग जिम कॉर्बेट का फैन हो गया है। चलो अब कॉर्बेट म्यूजियम चलते है। म्यूजियम में घुसते ही टिकट घर है। टिकट लेने के बाद हम आगे चले। जिम कॉर्बेट साहब की एक मूर्ति लगी है। फिर उससे आगे उनका घर बना है। जहा पर उनकी बहुत सी तस्वीर लगी है, उनकी माँ व एक बहन (मैगी ) की भी फोटो है। उनका बैडरूम , स्टडी रूम ,मीटिंग हॉल सब पुराणी यादो को संजोय आज भी ऐसे ही है। उनकी कुछ किताबे रखी हुई है जब कॉर्बेट साहब ने उन्हें लिखा होगा तो यही लिखा होगा उनकी कुछ निशानिया आज भी मौजूद है। मै और देवांग ही काफी देर तक हाउस में रहे बाकि ललित और सभी बाहर आ गए क्योकि ना तो उन्हें जिम कॉर्बेट के बारे में जानना था ना ही उनके घर के बारे में। यहाँ केवल वही लोग अच्छा महसूस करते है जो जिम कॉर्बेट को जानते है बाकि तो दो नज़र मार के ही वापिस निकलते हुए मिलते है। देवांग भी सभी चीज़ो को बारीकी से देख रहा था और हर सामान को मूवी से ही जोड़ कर देख रहा था और बीच बीच में कुछ सवाल भी पूछ रहा था। बाकि औरो का तो पता नहीं लकिन मैं जिम कॉर्बेट का घर देख कर बहुत अच्छा महसूस कर रहा था। बाहर आ कर हमने एक होटल पर चाय पी और चल पड़े अगली मंजिल की ओर। ..
यात्रा जारी है ....
अब कुछ फोटो देखे जाये। ...
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जिम कॉर्बेट म्यूजियम |
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जिम कॉर्बेट साहब की मूर्ति के सामने देवांग |
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जिम कॉर्बेट हाउस जहा वो अपनी बहन के साथ सर्दियों में रहते थे अब यह एक म्यूजियम है। |
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मैं सचिन त्यागी |
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जिम कॉर्बेट व उनकी माता का फोटो |
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कुछ तस्वीर लगी है उनमे से एक जिसमे जिम अपने सहयोगी के साथ है और एक आदमखोर बाघ |
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हाउस के अंदर कभी जिम कॉर्बेट यहाँ रहते थे |
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जिम का एक फोटो |
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जंगल में जाने की सवारी जिम इसमें बैठ कर जाते थे। |
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एक कलाकृति |
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जिम कॉर्बेट द्वारा लिखी कुछ पुस्तके जिसमे वो अपनी वो यादें लिखते थे जब वो जंगल में नरभक्षी को मारने जाते थे। |
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जिम कॉर्बेट का लैम्प जो मिटटी के तेल से जलता था और पीछे उनकी लिखी पुराणी पुस्तके। |
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जिम का फर्नीचर |
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इस रैक में कभी जिम अपनी राइफल रखते थे जिससे वो नरभक्षी जानवरो का शिकार करते थे आज केवल गन की फोटो ही लगी है। |
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दीवार पर कुछ पुराने फोटो लगे है |
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जिम गेस्ट रूम |
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जिम का गेस्ट सचिन त्यागी |
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जिम और शिकार |
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जिम कॉर्बेट और रुद्रप्रयाग का आदमखोर जिस पर उन्होंने एक किताब भी लिखी है। |
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बच्चा पार्टी |
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जिम हाउस |
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जिम कुछ कह रहे है |
बढ़िया पोस्ट सचिन भाई और शानदार फोटो । पढ़ कर लगा लिखी हुई है "दिल से"
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संजय कौशिक जी। जी भाई हर पोस्ट दिल से ही लिखी जाती है।
हटाएंजिम कॉर्बेट ने एक समय खूंखार बाघों और तेंदुओं का लगभग सफाया ही कर दिया था , बाद में उन्हें इन बड़े जीवों के प्रकृति के संरक्षण में भूमिका पता चली तो उन्होंने वन्य जीव संरक्षण के लिए बहुत काम किया । भारत का पहला वन्य जीव अभ्यारण हेली उन्ही के प्रयासों से बना , जिसे आज हम जिम कॉर्बेट राष्ट्रिय उद्यान के नाम से जानते है ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया पोस्ट लिखी सचिन जी
धन्यवाद पांडेय जी, आपने भी मुझे काफी जानकारी दी जो आगे की पोस्ट में काम आएगी।
हटाएंजिम कॉर्बेट ने एक समय खूंखार बाघों और तेंदुओं का लगभग सफाया ही कर दिया था , बाद में उन्हें इन बड़े जीवों के प्रकृति के संरक्षण में भूमिका पता चली तो उन्होंने वन्य जीव संरक्षण के लिए बहुत काम किया । भारत का पहला वन्य जीव अभ्यारण हेली उन्ही के प्रयासों से बना , जिसे आज हम जिम कॉर्बेट राष्ट्रिय उद्यान के नाम से जानते है ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया पोस्ट लिखी सचिन जी
बढ़िया पोस्ट सचिन भाई । मैं कभी इधर नही गया , पर आपकी पोस्ट से काफी कुछ पढ़कर समझ आया । अच्छा लिखा है और फ़ोटो भी मस्त है । दिल से
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रितेश जी।
हटाएंबढ़िया पोस्ट 👍👍
जवाब देंहटाएंशुक्रिया विनोद।
हटाएंWah bhai ji cha gye tussi👍👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अजय जी।
हटाएंशानदार फोटो और बढ़िया पोस्ट सचिन भाई .जिम कॉर्बेट के बारे में अच्छी जानकारी दी है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद नरेश जी।
हटाएंजिम कार्बेट के बारे पहली बार इतनी सारी सामग्रियां मिलीं, पहले सिर्फ नाम ही सुना था। यह जानना भी दिलचस्प है कि जिम कार्बेट दोनों भाई बहन थे।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद RD भाई पोस्ट पंसद करने के लिए व अपना कीमती समय निकाल कर पोस्ट पर आने के लिए। वैसे जिम कार्बेट की बहन का नाम मैगी था। और वह जिम कार्बेट के साथ ही रहती थी।
हटाएंविवरण बहुत सूचनाप्रद और रोचक है सचिन भाई ! हम इंसान जब कोई बड़ी चीज देख लेते हैं तो छोटी का मोह कम हो जाता है स्वतः ही , जैसे कॉर्बेट फॉल कितना खूबसूरत है लेकिन लगता है अरे ये तो " बच्चा " है ! जिम कॉर्बेट को सर्मपित बढ़िया पोस्ट लिखी है आपने सचिन भाई
जवाब देंहटाएंधन्यवाद योगी जी। वैसे तुलना नही की जानी चाहिए। जगह की महत्वता को देखना चाहिए। बहुत अच्छा लगा आपका कमेंट देखकर, संवाद बनाए रखे।
हटाएंबहुत बढिया पोस्ट सचिन भाई।
जवाब देंहटाएंफोटो भी बहुत अच्छे हैं देर से आने के लिए सॉरी
धन्यवाद अनिल जी। वैसे देर आए दुरुस्त आए।
हटाएंबढ़िया लिखा है में अपनी यात्रा की यादें ताज़ी कर आया
जवाब देंहटाएंप्रतिक भाई जब यह पोस्ट लिख रहा था तब आपका ख्याल आया था। क्योकी जिस दिन में यहां गया था उससे अगले दिन आप भी इन जगहों पर होकर आए थे। और आप के फोटो भी मैने देखे थे। धन्यवाद प्रतिक भाई
हटाएंबहुत उम्दा सचिन भाई, जानदार, जबर्दस्त, शानदार।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संगम मिश्रा जी। अब आपके ब्लॉग का इंतजार है बस।
हटाएंबहुत ही सुंदर व्याख्या की है आपने, ओर सहन्ग्रह को देख कर मज़ा आ गया। बहुत धन्यवाद आपका।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका संदीप भाई।
हटाएंब्लॉगर फालोबर्स का बिजेट तो लगाइए महोदय।
जवाब देंहटाएंफालो करने पर ही तो मेरे डैशबोर्ड पर आपकी फीड आयेगी।
धन्यवाद शास्त्री जी। सर बिजेट लगा दी गई है।
हटाएंबहुत बढ़िया पोस्ट सचिन भाई, इस पोस्ट को पढ़ने के बाद लग रहा है एक बार फिर से उस तरफ जाना पड़ेगा ! जिम कॉर्बेट के बारे में सुना तो बहुत है लग रहा है एक बार देखना ही पड़ेगा !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रदीप जी। आप इधर होकर आओ निराश नही होगें बहुत सी जगह है जहां आप जा सकते है।
हटाएंCorbet fall mein 2013 tak nahane par koi manahi nahi thi, par waha log aksar madira paan karte the or sath he jungle mein kachra bhi hota tha.
जवाब देंहटाएंhum bhi moradabad se kafi baar ja kar nahaye hain waha....
But acha he hai humari thodi masti ki wajah se waha ki natural beauty khatam hoti ja rahi thi...
शुक्रिया अब्दुल अहद जी आपने हमें बताया की क्यो नहाने व झरने के पास जाना मना है। कुछ लोगो की वजह से बाकी लोगो की पिकनिक का मजा खराब हो जाता होगा इसलिए यहां पर नहाने पर पाबंदी लगा दी गई है। मैने एक विडियो में भी देखा था लोग झरने के ऊपर भी जाकर नहा रहे थे। जो गलत था।
हटाएंबहुत अच्छी जानकारी मिली जिम कार्बेट के बारे में,फ़ोटो भी बहुत सुन्दर हैं।जिम कॉर्बेट की एक कहानी जो बचपन मे पढ़ी थी,हमारे पाठ्यक्रम में ही थी।"आदमखोर बाघिन का शिकार"बहुत रोमांचक कहानी थी,तभी से जिम कॉर्बेट के बारे में जानने की इच्छा हुई थी।धीरे धीरे आप जैसे मित्रों के द्वारा और जानकारियां मिलती रहीं।बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रूपेश जी। जिम कार्बेट साहब हर किसी के फेवरेट व्यक्ति है जो जंगल व जानवरो को पंसद करता है। कई बुक है जो इन्होने लिखी है इन्ही से इनके बारे में बहुत कुछ जान पाए है।
हटाएंअरे मैं तो यहां गई हि नही , नैनीताल से कितनी दूर है ये । काठगोदाम स्टेशन से नैनीताल के बीच ये कहाँ आता हैओ ।
जवाब देंहटाएंबुआ जी प्रणाम🙏
हटाएंबुआ यह नैनीताल से मात्र 33 किलोमीटर नैनीताल रामनगर रोड पर है। काठगोदाम हल्द्वानी वाला रोड दूसरी तरफ है।रामनगर से जिम कार्बेट पार्क भी जा सकते है। अब कभी नैनीताल आए तो इधर जरूर आना।
सचिन भाई बढ़िया जानकारी दी आपने।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुशील कुमार भाई।
हटाएंविस्तृत पोस्ट पूरी जानकारी प्राप्त हुई, शानदार, लिखते रहिए।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रकाश जी
हटाएंamazing photographs. Thanks for sharing with us
जवाब देंहटाएंJim Corbett Resorts Packages | Jim Corbett Safari