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शुक्रवार, 10 जुलाई 2015

हिमाचल यात्रा-01(दिल्ली से भाखडा नाँगल डैम)

हिमाचल का नाम सुनते ही मन में बर्फ़, ठंडी हवा के झौके,पहाड ओर पता नही क्या क्या आ जाता है।पर हिमाचल में भी बहुत सी विभिन्नताऐ है,जैसे शिवालिक पहाड़ियाँ जिनकी ऊंचाई कम है ओर शायद ही बर्फ पडती हो.ओर कुछ ऐसी जगह भी है जो हर दम ठंडे रहते है,ओर कुछ जगह बर्फ ही बर्फ..................

हिमाचल कौन नही जाना चाहेगा,बस जाने का मौका ओर समय मिलना चाहिए।बस ऐसा मौका मुझे भी मिला। हुआ यह की....गर्मियों की छुट्टियाँ में दीदी आयी हुई थी,एक दिन जीजा जी(अमरीष त्यागी)घर पर आए,उनसे पता चला की वह दो दिन के लिए हिमाचल व पंजाब की सीमा पर बसे नांगल जा रहे है,यहां से भाखडा नांगल डैम मात्र 8km ही रह जाता है.(मै पहले भी गया हुआ हुं)
यह सुनकर मेरे मन में घुमने की ललक ऊठ खडी हुई,मेनें उनसे कहा की आप नांगल(ऊना के पास)तो जा ही रहे है,आप मुझे ओर आयुष(मेरा भांजा व उनका लडका)को ऊना छोड देना हम वहा से धर्मशाला घुम आऐगे,उन्होने कहां ठीक है18 जून को  चलेगे,जब मेने दीदी को बताया की हिमाचल की सभी देवी लगभग उसी रास्ते पर पडती है.यह सुनकर उन्होने भी चलने इक्छा जतायी फिर क्या था बन गया घुमने का प्रौगम।उन्होने फोन कर अपनी जेठानी व उनके दोनो बच्चो को भी चलने के लिए कहा।इस प्रकार कार्यक्रम यह बना की पहले हम अमरीष जी(जीजा जी) को नांगल फैक्टरी छोडेगे ओर जब तक हम भाखडा नांगल डैम घुम आऐगे,फिर वहा से फैक्टरी ओर वहा से कही भी निकल पडेगे घुमने के लिए,कहां कहां जाना है यह सब मेरी जिम्मेदारी थी।
लेकिन अगले दिन हम जा ना सके क्योकीं नांगल फैक्टरी से अमरीष जी के पास फोन आया की आज आप यहा नही आना क्योकीं यहा पर श्री गुरू गोबिंद जी जो सिखों के गुरू भी थे उनका 350वा जन्मदिन बनाया जा रहा है ओर आनन्द साहब गुरूद्वारा,किरतपुर गुरूद्वारा व आसपास काफी जाम लग सकता है इसलिए आप परसो आएं।
इस एक दिन की देरी में रास्ते में खाने के लिए समान तैयार कर लिया गया,18 जून की रात को सुबह 4 बजे का अलार्म भर कर सो गया,अगली सुबह 19 जून को अपने आप 3:45 पर आँख खुल गई,सुबह के दैनिक काम निपटा कर नाश्ता किया,इतने में अमरीष जी अपने ड्रायवर व गाड़ी लेकर आ गए ओर सुबह लगभग 5:15 पर हमने दिल्ली से नांगल के लिए प्रस्थान कर दिया।
हमनें जल्द ही दिल्ली को पार कर लिया,मुरथल जो पहले से ही खाने के लिए प्रसिद्ध है,खासतौर पर पराठो के लिए,सुबह सुबह आज भी लगभग सभी ढाबो पर गाडिया रूकी हुई थी गाडियो को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है की शिमला व मनाली जैसे पर्यटन स्थल पर कितनी भीड होगी,जल्द ही हमने करनाल, कुरूक्षेत्र व अम्बाला पार कर लिया,रास्ते मे बस टोल व कुछ जरूरी कामो के लिए ही रूकते,जल्द ही हम डेरा बसी को पार करते हुए,चंडीगढ़ पहुचं गए।
यहां की पुलिस बाहर की गाडियो को देखते ही रोक लेते है ओर छोटी से छोटी गलती पर भी चालान काट कर हाथ में थमा देते है,
वैसे एक जगह हमें पुलिस ने रोका पर अमरीष जी ने पंजाबी में दो शब्द कहकर गाड़ी आगे बढा दी.यहा से हम रूपनगर(रोपड)की तरफ जाने वाले रास्ते पर हो लिए,यही से मनाली जाने वाला रास्ता सीधे हाथ की तरफ चला जाता है।
पर हमे सीधे किरतपुर व आनन्दसाहिब गुरूद्वारा होते हुए नांगल पहुचंना था,इस रास्ते से हम लगभग दिल्ली से नांगल तक का सफर 6 घंटो में पूरा होना था पर रोपड में हमे किरतपुर की तरफ जाने नही दिया।क्योकीं अभी गुरू जी का 350 वा जन्मदिन उत्सव चल रहा है,इसलिए हमें बांये ओर जाते रास्ते पर मोड दिया गया,जो बहुत छोटा तो था ही साथ में रूहअफजा शर्बत पिलाने वालो ने ओर जाम लगा रखा था।हम गांवो से होते हुए निकल रहे थे,गांव के लोग जबरदस्ती गाडीयो को रोक रोक कर ठंडा शर्बत पिला रहे थे। वैसे वो काम तो अच्छा कर रहे थे,गर्मी मे शर्बत पीला कर, पर हम कितना शर्बत पीते आखिर पेट है कुआं तो नही।
छोटे मोटे गांवो से निकल कर हम नांगल दोपहर के 2बजे तक पहुचं गए,फैक्टरी डैम वाले रास्ते पर ही थी ओर यह हिमाचल में ही आती थी,इसलिए डैम देखने के लिए या इस रास्ते पर जाने के लिए P.R.O ऑफिस से एक पर्ची या कहे की परमिट बनवाना पड़ता है,जिसमे आप कौन है,कहां से आ रहे है,कहां जा रहे है,कितने लोग है, यह सब जानकारी देनी होती है,
P.R.O ऑफिस में एक छोटा सा संग्रहालय भी बना है जहां आप डैम के बारे में बहुत सी बाते जान सकेगे।
पर्ची बनवा कर हमनें हिमाचल बार्डर पर तीस रूपये की प्रवेश पर्ची कटवाई ओर सीधे फैक्टरी पर जा कर गाड़ी रोकी,वहा हम रूके नही बस अमरीष जी को छोडा ओर चल पडे भाखडा नांगल डैम की ओर। फैक्टरी के मालिक ने हमे बताया की फैक्टरी से बांये मुड जाना ओर सीधे डैम वाले रास्ते पर ही पहुंच जाओगे पर हमारे ड्राइवर साहब ने पुराना रास्ता ही चुना।तकरीबन दो किलोमीटर बड़ा पडा पर हम जल्द ही डैम पर पहुचं गए,पार्किंग में गाड़ी लगाई ओर वहा पर बनी कैंटिन में चाय संग घर से लाई गई सब्जी पूडी खाई,फिर पैदल पैदल डैम देखने चल दिए,डैम में पानी कम लग रहा था पर डैम के दूसरी तरफ नीले हरे रंग का पानी दूर तक दिख रहा था,यहां पर फोटो लेना मना है,इसलिए मैने कैमरे को जेब में रहने दिया।मौसम सुहाना तो हो ही रहा था पर अचानक आई बारिश ने मौसम को ओर हसीन कर दिया,हम बारिश से बचने के लिए सीधे गाड़ी मे बैठ गए.
ओर धीमे धीमे गाड़ी चलाते हुए बारिश का मजा लेते रहे,आगे एक तीराहे पर गाडी रोक दी,यही से बाबा बालकनाथ मन्दिर को रास्ता जाता है जो तकरीबन 60kmदुरी पर स्थित है पर आजकल रोड बंद है जैसा हमें फैक्टरी मालिक नें बताया इसलिए हम वहा नही गए नही तो एक बार विचार बन गया था बाबा बालकनाथ मन्दिर देखने का।हम वहां से नांगल की तरफ मुड गए ।
भाखडा़ नांगल बांध-भाखडा़ नांगल डैम सतलुज नदी पर बना एक विशाल बाँध है,जो भारत में ही नही बल्कि एशिया के विशाल बांधो में से एक है।यह डैम पंजाब व हिमाचल प्रदेश में स्थित है,इस डैम मे पंजाब,हिमाचल व राजस्थान का हिस्सा है,इसको बनने मे 15 साल का समय लगा।देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु जी ने इस बांध को सन् 1963 में देश को समर्पित किया,इस बांध का उदेश्य बिजली पैदा करना व सिचांई करना था।यह बांध 1325 मेगावाट बिजली बनाता है व राजस्थान तक जाने वाली इंदिरा नहर का स्रोत भी है,यह बांध 226 मीटर ऊंचा व 520 मीटर लम्बा है तथा इस बांध पर बनी विशाल झील गोबिंदसागर झील कहलाती है.........

डैम को देखने के बाद हम वापिस फैक्टरी की तरफ चल पडे,एक जगह गलत मुड गए,पर वापिस उसी रास्ते पर आ गए,यहा से लगभग 10 मीनट में फैक्टरी पहुचें ओर वहा से हम चल पडे चिंतपूर्णी देवी की तरफ...........................
अब कुछ फोटो देखे जाए....

दूर से दिखता भाखड़ा नांगल डैम
किरतपूर जाने वाला हाईवे
नांगल वाली फैक्टरी की तरफ जाता रास्ता
बस पास ही है फैक्टरी
फैक्टरी के पास सचिन त्यागी
P.R.O ऑफिस में बना संग्रहालय में लगी डैम की फोटो
एक यह भी है
डैम का बहुत पुराना फोटो
यह तो अभी का ही है,देखो ध्यान से...
डैम पर बने पार्क में सचिन
भाखडा नंगल  डैम की विशेषता

8 टिप्‍पणियां:

  1. Bahut sunder sachin bahi, hamara bhi 15/7/15 ko Naina devi aur Bhakra jane ka programe hai dekhte hain ye barish jaane degi ya nahin.

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    1. रूपेश शर्मा जी आपकी यात्रा के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं ।

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  2. Sachin bhai majaa aagya photo mast hai
    agle bhag ka intajar hai

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    1. विनोद गुप्ता जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

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  3. उत्तर
    1. बी एस पाबला जी नमस्कार। ब्लॉग पर आने व उत्साह पूर्ण टिप्पणी के लिए आभार।

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  4. आपका भ्रमण बहुत अच्छा रहा हिमाचल का अपने हिमाचल का पूरा भ्रमण किया अपनी फोटो देख अच्छा लगा में भी हिमाचल का निवासी हूँ में आपको बीड बिलिंग के बारे में बताना चाहता हूँ बीड बिलिंग एक गाव है यह गाव पैराग्लाइडिंग के लिए प्रसिद्ध है यहाँ २०१५ में विश्ब कप हुआ था पैराग्लाइडिंग का?यहाँ विश्व का दूसरा प्रसिद्ध स्थान है पैराग्लाइडिंग?बहुत से यात्री यहाँ घूमने आते है और आनद प्राप्त करते है?

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    1. धन्यवाद बीड बिलिंग जी।
      मुझे पता था की यहां पर पैराग्लाइडिंग होती है, पर उधर जाना ना हो पाया, अगली बार उधर जरूर जाऊगा।

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