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मंगलवार, 31 मार्च 2020

बद्रीनाथ व माना गाँव की यात्रा

बद्रीनाथ व माना गांव की यात्रा भाग 03  
बद्रीनाथ 
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03 नवंबर 2019
कल हम कार्तिकेय स्वामी मंदिर ट्रैकिंग करने के बाद चमोली से आगे बिरही में रुक गए थे। आज सुबह हम लगभग 7:00 बजे बद्रीनाथ जी के लिए चल दिए। बिरही से बद्रीनाथ जी पहुंचने में लगभग 4 घंटे लग गए इसी बीच रास्ते में ही हमने नाश्ता भी किया। बद्रीनाथ जी पहुंचने के बाद सबसे पहले हमने एक होटल में दो रूम ले लिए वहां पर बैग व अन्य सामान रखने के बाद हम बद्रीनाथ मंदिर की तरफ चल दिये और गर्म कुंड में काफी देर तक स्नान करते रहे। गर्म पानी मे नहाने के बाद सारी थकान दूर हो जाती है। नहाने के बाद हमने बद्रीनाथ जी के दर्शन किए और फिर माना गांव की तरफ चले गए।
मैं सचिन त्यागी और मेरे साथ अंकित व ललित 

बद्रीनाथ मंदिर के अंदर का दृश्य 

मंदिर के खम्बे पर नक्काशी द्वारा बनाये गए विष्णु भगवान 


मंदिर के अंदर का सीन व ऊपर पहाड़ पर बर्फ़बारी होते हुए 

एक बाबा 




बद्रीनाथ जी का मुख्य गर्भ गृह 

बद्रीनाथ से अन्य स्थल की दूरी बताता एक बोर्ड 

मैं माना गांव पहले भी आ चुका हूं, मेरा यह तीसरा अवसर है कि जब मैं बद्रीनाथ जी आया हूं। मैं पिछले साल भी बद्रीनाथ आया था ललित के संग और अगर मुझे हर साल यहा आने का अवसर मिले तो इससे बड़ा सौभाग्य में नहीं समझ सकता। माना गांव के कुछ दर्शनीय स्थलों के दर्शन किए गए। हम सरस्वती नदी, भीम पुल, भारत की आखरी चाय की दुकान आदि स्थल हमने देखे उसके बाद हम वापस होटल आ गए शाम हो चुकी थी। एक बार फिर दोबारा बद्रीनाथ मंदिर गए और 150 रू प्रति व्यक्ति के दर से एक पर्ची कटवाई और एक विशेष पूजा में भी भाग लिया। उसके बाद हम वापिस होटल आ गए। अब अंधेरा हो चुका था कुछ देर बाद हमने खाना खाया और देखा कि बाहर बारिश हो रही थी। और काफी ठंड हो रही थी। कुछ समय बाद बहुत तेज बारिश होने लगी फिर छोटी छोटी कंकड पढ़ने लगी और देखते ही देखते शरद ऋतु की पहली बर्फबारी चालू हो गयी। स्नोफॉल देखना अपने आप में ही एक अच्छा अनुभव होता है, हम जैसे मैदानी लोग जो दिल्ली एनसीआर व देश में कही भी रहते हो उनके लिए स्नोफॉल देखना बहुत बड़ी बात होती है। लोग बर्फ देखने के लिए कई कई दिन इंतजार भी करते है और आज हम भी बर्फ पड़ते हुए देख रहे थे। मैंने तो कई बार snowfall देखा हुआ है। लेकिन ललित, अंकित और अमित ने जिंदगी में पहली बार स्नोफॉल देखी थी इसलिए वह काफी खुश थे। कुछ समय बाद हम सोने के लिए अपने अपने कमरों में चले गए।
माना गाँव के निकट 


माना गाँव ,भीम पुल दिखता हुआ इस फोटो में 


एक छोटी बच्ची जो मुझे माना गाँव में मिली थी 

रात को बर्फवारी भी हुई 




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10 टिप्‍पणियां:

  1. चित्रों के प्रचुरता के साथ बढिया यात्रा विवरण, धन्यवाद यात्रा कराते रहिए।

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    1. आभार आपका प्रकाश भाई जी। बस ऐसे भी प्रेम बनाये रखें

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  2. बदरीनाथ मंदिर के आंगन में बनी बैठक में समय बिताने में जो आनंद आता है वह कहीं नही।

    अच्छा वर्णन किया है आपने।

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    1. धन्यवाद उमेश जी। जी आपने बिल्कुल सही बोला है वाकई बद्रीनाथ मंदिर के आंगन में बैठ कर मन को शांति व आनंद का अनुभव होता है।

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  3. बहुत़ खूब। मन्दिर के अंदर के दर्शनार्थ आपका आभार। जय़ बद्री विशाल। जय़ देवभूमि

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  4. क्या बद्रीनाथ जाते समय हम कार्तिक स्वामी भी जा सकते है सीधा रास्ता हैं या अलग अलग

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    1. कार्तिक स्वामी के लिए रुद्रप्रयाग से रास्ता अलग हो जाता है। फिर कनकचोरी से तीन किलोमीटर का आसान सा ट्रेक कर मंदिर तक जाते है। जो व्यक्ति पैदल चलता हो रोज़ वह इसको आराम से कर सकता है। कनकचोरी से मोहनखाल फिर कर्णप्रयाग पहुँचते है और फिर हम बद्रीनाथ हाइवे पर होते है। आप इसको बद्रीनाथ होते हुए भी केदारनाथ होते हुए भी कर सकते है बस एक दिन इसके लिए अलग से रखो।

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  5. जय बद्री विशाल की । अच्छा लगा आपका लेखन और चित्र

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