पृष्ठ

सोमवार, 5 अक्तूबर 2015

हरसिद्धि माता मन्दिर व क्षिप्रा(शिप्रा)नदी घाट(उज्जैन)

इस यात्रा को शुरूआत से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे। 

29जून2015,दिन सोमवार
हम लोग महाकाल के दर्शन करने के पश्चात महाकाल मन्दिर के पास से एक जाते हुए रास्ते (हरसिद्धि मन्दिर मार्ग)पर चल पड़े।इसी रास्ते पर बड़े गणेश मन्दिर भी है।हम लोग गणेशजी को बाहर से ही प्रणाम करते हुए।सीधे हरसिद्धि माता के मन्दिर पहुँचे।
हरसिद्धि माता मन्दिर-
यह मन्दिर माता के उन 51 शक्ति पीठो मे से एक है,जहां पर माता सती के अंग या आभूषण गिरे थे।यहां पर सती माता की कोहनी गिरी थी।यह मन्दिर वैसे तो बहुत प्राचीन है पर मराठो शासकों ने इस मन्दिर का निर्माण दोबारा से कराया।मन्दिर में दो प्राचीन(मराठाकालीन) दीपस्तम्भ स्थापित जिनमें सैकडो ज्यौत आरती के समय जलायी जाती  है
इतिहास से यह ज्ञात होता है कि माँ
हरसिद्धि सम्राट विक्रमादित्य की कुलदेवी थी।जिन्हें प्राचीन काल में ‘मांगलचाण्डिकी’
के नाम से जाना जाता था । राजा विक्रमादित्य
इन्हीं देवी की आराधना करते थे एवं उन्होंने ग्यारह बार अपने शीश को काटकर माँ के चरणों में समर्पित कर दिया पर माँ पुनः उन्हें जीवित
व स्वस्थ कर देती थी । राजा विक्रमादित्य के आग्रह पर ही माता दूर समुंद्र तट(आज का गुजरात) से उज्जैन में आई।
श्री हरसिद्धि मंदिर के पूर्व में महाकाल एवं पश्चिम में रामघाट(शिप्रा नदी) स्थित है । बारह मास भक्तों की भीड़ से भरा उज्जैन का हरसिद्धि शक्तिपीठ ऊर्जा का बहुत बड़ा स्त्रोत माना जाता है । तंत्र साधकों के लिए यह स्थान विशेष महत्व रखता है।श्री हरसिद्धि मंदिर में  एक श्री यन्त्र निर्मित है । कहा जाता है कि यह सिद्ध श्री यन्त्र है और इस महान यन्त्र के दर्शन मात्र से ही पुण्य का लाभ होता है।माता हरसिद्धि मन्दिर के गर्भग्रह मे माता की मूर्ति प्रसन्न व बड़ी सुन्दर दिखलाई देती है।
हरसिद्धि मन्दिर परिसर मे हनुमानजी व शिवजी का मन्दिर भी बने है,जहां पर भक्तगण दर्शन करते है।
हम सभी ने माता हरसिद्धि के दर्शन करने के पश्चात कुछ नाश्ता करने की सोची।क्योकी हम सभी ने सुबह से कुछ नही खाया था।सोचा की  पहले महाकाल की पूजा करेंगे फिर पेट पूजा।मन्दिर के बाहर मूख्य गेट के साथ बनी चाय की दुकान पर बैठ गए।लगभग हम सभी ने दो दो गिलास गर्मा गरम चाय पी।ओर साथ मे गरमा गरम पोहा खाया।पोहा खाने मे स्वादिष्ट बना था।पोहा खाने के बाद हम वहां से क्षिप्रा(शिप्रा) नदी की तरफ चल पड़े।हरसिद्धि मन्दिर से बस थोड़ी ही दूर पर शिप्रा नदी है।चाहे तो पैदल भी जाया जा सकता है।लेकिन हमारे पास अपनी गाड़ी थी इसलिए हम कार मे सवार होकर रामघाट के निकट बनी एक पार्किंग मे गाड़ी खड़ी कर दी।ओर वहां से पैदल शिप्रा नदी की तरफ चल पड़े।रास्ते मे कुछ आश्रम व मन्दिर दिखे।वैसे उज्जैन शहर मे मन्दिरो की कोई कमी नही है,हर जगह मन्दिर ही मन्दिर बने है।क्योकी उज्जैन नगरी बहुत प्राचीन नगरी है।
हम लोग शिप्रा नदी पर बने रामघाट पर  पहुँचे। हमारे साथ आए पंडित जी शैंकी महाराज ने शिप्रा पूजन कराया।पूजा करने के बाद हम नदी के समीप पहुँचे।नदी के पवित्र जल को स्पर्श किया।किसी ने मुँह हाथ धौए तो किसी ने बस पानी के छिंटे ही मार लिये शरीर पर।यहां शिप्रा नदी पर कई पक्के घाट बने है ओर घाटो पर मन्दिर व आश्रम भी बने है।इन घाटो पर लोग पूजा पाठ व नहा रहे थे।तो कई इसका पवित्र जल बोतल व कैन में भरकर अपने घर ले जा रहे थे।यह घाट व मन्दिर मुझे कुछ हरिद्वार की याद दिला रहे थे।हरिद्वार मे गंगा व उज्जैन मे शिप्रा,लगातार भक्तों को देव दर्शन करा रही है।क्षिप्रा नदी भी गंगा नदी की ही तरह पवित्र व मोक्षदायनी मानी जाती है।चूंकी समुंद्र मंथन द्वारा निकला अमृत की कुछ बूंदे उज्जैन की इस शिप्रा नदी में भी गिरी थी।इसलिए यहां भी हर बारहवें वर्ष कुंभ मेले का आयोजन होता है।पूरे भारत मे केवल चार जगह कुंभ मेला लगता है।उज्जैन की शिप्रा नदी भी उन में से एक है।
ऐसा माना गया है की शिप्रा नदी के तट(रामघाट) पर भगवान श्रीराम ने अपने पिता राजा दशरथ की आत्मा को शांति व मोक्ष प्रदान करने के लिए पिण्ड दान किया था।इसलिए शिप्रा नदी को मोक्षदायनी भी कहा जाता है।शिप्रा के किनारे ही बाल काल मे श्री कृष्ण व सुदामा जी की दोस्ती हुई थी,वह दोनों यही नदी के किनारे बने संदीपनी आश्रम मे पढ़ते थे।
शिप्रा के दर्शन करने के बाद हम वापिस अपनी गाड़ियों के पास पहुचें।यहां से हम दोपहर के लगभग10:30पर अोंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की तरफ निकल पड़े।
अब कुछ फोटो देखे जाएं.....
माँ हरसिद्धि का मुख्य मन्दिर व मराठा कालीन दीपस्तम्भ 
सड़क से ऐसा दिखता  है। माता हरसिद्धि मंदिर का मुख्य प्रवेश द्धार 
 देवांग मन्दिर के सामने 
मंदिर का इतिहास बताता एक शाइन बोर्ड 
मुख्य मन्दिर का एक और दृश्य 
आकाश छूती दीपस्तंभ 
दोनों दीपस्तम्भ 
माँ   हरसिद्धि की मुख्य मूर्ति के दर्शन 
माँ का दरबार व श्रृंगार करते मंदिर के पुजारी 
एक दुर्लभ प्राचीन मूर्ति






क्षिप्रा नदी के कुछ फोटोज 
रामघाट शिप्रा नदी 
क्षिप्रा नदी पर एक शिवलिंग   व दूर एक आश्रम दिखता हुआ। 
पंडित जी पूजा करते हुऐ। 
क्षिप्रा नदी व दोनों तरफ घाट पर बने मंदिर व आश्रम। 
रामघाट जहा भगवान राम ने अपने पिता के लिए पिंड दान किये थे। 
दीदी ,जीजाजी व वीर 
अपनी फैमिली 
शिप्रा घाट पर बने मंदिर। 
रामेश्वर महादेव मंदिर (रामघाट )

5 टिप्‍पणियां:

  1. Sachin bahi ab aap ke lekh me nikhaar aa raha hai photo to ek dam jivit lagte hai
    Aaj ki post ne to dil jit liya

    जवाब देंहटाएं
  2. भाई सचिन जी में यहां की यात्रा 1साल पहले कर चुका हूँ।अापका बलाॅग पढ़ कर यादे ताजा हो गई।फोटो काफी उमदा हैं।शिवलिंग व घुपबतती वाला।

    जवाब देंहटाएं
  3. It was extremely interesting for me to read the post. We happy to Check astrologer Informative Blog! For Knowledge! thanks!. Here We want to Introduce about our company. you can call of a1webtech.com

    we at www.a1webtech.com, provide complete astrology puja digital services for all over India pandit's! working as astrologer website design and astrologer website promotion activities are Best astrologer PPC Services in India | Top astrologer SEO Services in India‎!

    Work Phases are Pay Per ClickSearch Engine OptimizationSocial Media Marketing Services in India. Grow your Business with Effective & Creative advertising to extend your Market Reach.

    Our Services
    Adwords Management
    Website Design
    SEO Company
    SEO Service

    Find on Google Business

    Thank you
    Visit https://goo.gl/maps/pt7JQz7kdUMvRiHE8
    http://a1webtech.com
    https://indalp.com
    http://indalp.in
    http://astron.in/
    http://www.adwordsmanagement.in/

    जवाब देंहटाएं

आपको मेरे ब्लॉग की पोस्ट कैसी लगी, आप अपने विचार जरूर बताए। जिससे मैं अपने ब्लॉग पर उन विचारों के अनुसार परिवर्तन ला संकू।