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शनिवार, 27 जुलाई 2019

Rudrpryag ( रुद्रप्रयाग)

रुद्रप्रयाग

रुद्रप्रयाग स्तिथ संगम स्थल 

रुद्रप्रयाग उत्तराखंड का एक जनपद (जिला) है। रुद्रप्रयाग जिले में बहुत कुछ देखने को है। जैसे चोपता, तुँगनाथ, गुप्तकाशी, केदारनाथ, त्रिजुनीनारायण मंदिर, कोटेश्वर महादेव व कार्तिक स्वामी मंदिर आदि। रुद्रप्रयाग का नाम भगवान शिव के नाम(रुद्र) पर है। उत्तराखंड के पंच प्रयागों में से एक प्रयाग रुद्रप्रयाग जहां केदारनाथ से आती मंदाकनी नदी और बद्रीनाथ से आती अलकनंदा नदी का संगम है। इन दोनो नदियों को सगी बहनें माना जाता है। इन दोनों नदियों के संगम के निकट ही दो मंदिर बने है। जिनमे भगवान शिव व एक माता का मंदिर  है। पुराणों में लिखा गया है कि ब्रह्मा पुत्र महर्षि नारद जी ने यहां एक शिवलिंग स्थापित किया और एक पैर पर खड़े होकर भगवान शिव की तपस्या की। भगवान शिव ने उन्हें प्रसन्न होकर संगीत की ज्ञान (शिक्षा) दी और एक वीणा भी दी। कहते है कि शिव ने उन्हें रूद्र रूप में दर्शन दिए इसलिए इस जगह का नाम रुद्रप्रयाग पड़ा।
रुद्रप्रयाग से एक रास्ता केदारनाथ जी के लिए जाता है केदारनाथ यहाँ से लगभग 90 km दूरी पर है। और एक रास्ता बद्रीनाथ जी से लिये जाता है बद्रीनाथ जी की दूरी यहाँ से लगभग 155 km है। रुद्रप्रयाग से ऋषिकेश की दूरी लगभग 145 km है। प्रयाग मंदिर और नदियों का संगम स्थल (प्रयाग) सड़क से कुछ ही दूरी पर है। यहां दोनों नदियों को आपस मे मिलते देखना मन को सकून देता है। मंदिर के घंटे की आवाज और नदी के बहते जल का शोर सारी थकान मिटा देता है। ऐसा माना गया है कि पांडव भी स्वर्ग यात्रा पर जाते वक्त इस स्थान से होकर ही गये थे।


संगम पर 







संगम पर 

सचिन त्यागी माँ गंगा की शरण में। 

माता का मंदिर साथ में दोनों नदियां दिखती हुई। 

शिव मंदिर जहां नारद जी ने शिवलिंग स्थापित किया था। 


प्राचीन शिवलिंग 

मंदिर के निकट ये भी मिले।