पृष्ठ

मंगलवार, 20 अगस्त 2019

Yog badri, pandukeshwer temple, योग- ध्यान बद्री(पांडुकेश्वर मंदिर)

योग ध्यान बद्री (पांडुकेश्वर मंदिर)
पाण्डुकेश्वर स्तिथ योग बद्री मंदिर 

योग ध्यान बद्री मंदिर एक प्राचीन मंदिर है। यहाँ पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस मंदिर में भगवान विष्णु जी जी की मूर्ति ध्यान मुद्रा में है इसलिए इस मंदिर को योग ध्यान बद्री कहा जाता है। यह मंदिर उत्तराखंड के सप्त बद्रियों में से एक है। कहा जाता है कि राजा पांडु (पांडवो के पिता) ने यहाँ पर विष्णु भगवान की धातु की मूर्ति स्थापित की थी और वह काफी समय इस स्थान पर रहे। ऐसा बताया जाता है कि कुंती और माद्री के पुत्र (पांडव) भी इसी स्थान पर पैदा हुए थे और राजा पांडु के प्राण भी इसी स्थान पर ही गए थे। इसलिए ही इस जगह का नाम पांडुकेश्वर पड़ा। कहते है कि यहां पहले शिव का मंदिर भी था जो पांडवो के इष्टदेव थे।
लेकिन आज यहां दो मंदिर बने है एक मंदिर योग ध्यान बद्री जी का व दूसरा वासुदेव जी (विष्णु) का है। वासुदेव मंदिर योगबद्री के बाद बना है ऐसा इतिहासकारों का मानना है। इन दोनो मंदिरो की बनावट कुछ कुछ केदारनाथ मंदिर जैसी ही है। शरद ऋतु में जब बद्रीनाथ जी के कपाट बंद हो जाते है तब बद्रीनाथ मंदिर से भगवान कुबेर जी और उद्धव जी की डोली आकर योग ध्यान बद्री मंदिर में ही रखी जाती है और उनकी पूरे शीत ऋतु में यही पूजा की जाती है। योग ध्यान बद्री मंदिर के कपाट पूरे साल खुले रहते है। पांडुकेश्वर स्तिथ योग बद्री मंदिर चमोली जिले में स्तिथ है। यह जगह जोशीमठ से लगभग 24 km की दूरी पर बद्रीनाथ रोड पर स्तिथ है और बद्रीनाथ मंदिर से लगभग 16 km पहले स्तिथ है।


योगबद्री मंदिर 




योग बद्री मंदिर व वासुदेव मंदिर 

रविवार, 4 अगस्त 2019

Vridh badri temple, वृद्धबद्री मंदिर

वृद्धबद्री मंदिर 
उत्तराखंड , चमोली 
वृद्ध बद्री मंदिर ,उत्तराखंड 


उत्तराखंड के जोशीमठ से तक़रीबन 7 km पहले एक गांव अनिमठ(अनीमथ ) पड़ता है। ये गांव मुख्य मार्ग से बस कुछ ही फासले पर नीचे बसा है। यह गांव चमोली जिले में है। यहां पर भगवान विष्णु की वृद्ध रूप में पूजा की जाती है। पुरानी मान्यताओं और मंदिर के पंडित जी के अनुसार इस जगह पर देवऋषि नारदजी ने भगवान विष्णु के दर्शन के लिए तपस्या की थी। और भगवान विष्णु जी ने नारद जी को इसी स्थान पर प्रसन्न होकर  वृद्ध (बूढ़े) रूप में दर्शन दिए थे। इसलिए इस स्थान को वृद्ध बदरी कहा गया है। उत्तराखंड में कुल सात बदरी है जिनमे सबसे पुराने बद्री यही है। कहते है कि वृद्ध बद्री की मूर्ति जो श्याम रूप (काले रूप) में है ये मूर्ति बहुत प्राचीन है और भगवान विश्वकर्मा जी के द्वारा निर्मित है। ये मंदिर बद्रीनाथ धाम जी से भी पुराना माना गया है। इस मंदिर से अन्य कथा भी जुड़ी हुई है लेकिन उन्हें जानने के लिए यहाँ एक बार आपको आना ही पड़ेगा। वैसे मंदिर एक छोटे से गांव में बसा है। वृद्धबद्री मंदिर समुन्द्र तल से लगभग 1450 मीटर ऊंचाई पर स्तिथ है इसलिए यहा मौसम शीतल ही रहता है। आसपास पेड पौधों की भरमार है, शांत माहौल है। आपको यहां आना और ये सब देखना अच्छा लगेगा।
बद्रीनाथ वाले  मुख्य रोड पर ही यह मंदिर है, इसलिए जब भी आप बद्रीनाथ जी की यात्रा पर आए तब आप इस मंदिर को देखने आ सकते है। वृद्ध बदरी के कपाट पूरे साल खुले रहते है। जोशीमठ से 7 km पहले ही यह मंदिर है। और चमोली गोपेश्वर से वृद्धबद्री की दूरी 60 km है।


मंदिर की स्तिथि बताता एक बोर्ड। 

मंदिर के बारे में बताता एक बोर्ड 

मैं सचिन त्यागी वृद्धबदरी मंदिर पर। 

वृद्ध बद्री मूर्ति दर्शन