21 मार्च 2017
हम लोग कार्बेट वाटरफॉल व म्यूजियम देखकर कालाढूंगी से
नैनीताल के लिए चल पडे। दोपहर के एक सवा बज रहे थे। इसलिए रास्ते में एक रैस्टोरैंट पर रूक गए और लंच कर लिया। यह रेस्टोरेंट रोड पर ही बना है लेकिन फिर भी यहां बहुत शांत वातावरण था। पता चला की रेस्टोरेंट के ऊपर रूकने के लिए कमरे भी बने है और कुछ लोग रूके भी है। लंच करने के बाद हम यहां से चल पडे। रास्ते में एक जगह काफी भीड लगी थी। मालुम किया तो पता चला की यहां पर पैराग्लाइडिंग होती है, जिसमे लोग ढलान से कुद जाते है और हवा में उडते रहते है एक पैरासुट के द्वारा। यहां से कुछ दूरी पर खुरपाताल झील भी है। खुरपाताल सडक से थोडा नीचे बनी है, खुरपाताल का शानदार व्यू सड़क से ही दिख रहा था। इसलिए नीचे झील तक नही गए। पास में सड़क पर एक छोटा सा मन्दिर बना है, मनसा देवी का । थोडी देर रूक कर हम यहां से आगे चल पडे। और सीधा नैनीताल जाकर ही रूके। सबसे पहले होटल पहुंचे। होटल शालीमार में हम पहले भी रूके थे लेकिन अब की बार थोडी साफ सफाई की कमी दिखी इसलिए होटल मालिक को बताया भी की कुछ होटल में साफ सफाई का ध्यान दीजिए तब होटल मालिक ने बताया की जल्द ही वह होटल को नया लुक देंगे तब आपको किसी भी प्रकार की दिक्कत नही होगी। फिर मै और ललित कार को नैनीताल की पार्किंग में लगा आए। पार्किंग की दर सुबह 9 बजे से अगली सुबह 9 बजे तक है जिसके लिए 100 रूपये चुकाने पडे। वापिस होटल पहुंच कर हम सब
नैनीझील देखने के लिए होटल से बाहर आ गए।
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नैनीझील , नैनीताल |
नैनीताल आए और
बोटिंग ना करे तो
नैनीताल में आना अधुरा सा लगता है। मुझे बोटिंग करनी थी फिर मेरा बेटा देवांग भी बोटिंग करने को बोल रहा था। इसलिए मैने बोटिंग करने को बोल दिया की मै तो बोटिंग करूंगा ही करूंगा लेकिन ललित ने बोटिंग करने से मना कर दिया। लेकिन बाद में मेरे कहने पर वह राजी भी हो गया और बोटिंग का पूरा लुफ्त भी उठाया। बोटिंग करने के लिए रेट पहले से ही तय है इसलिए आप निश्चित होकर बोट पर सवारी कर सकते है। अगर आपको झील का बडा चक्कर लगाना है तब आपको 210 रूपये देने होंगे नही तो आप छोटे चक्कर के 160 रूपया देकर भी बोटिंग का मजा ले सकते है। हमने दो नाव ले ली। और उस पर सवार होकर झील को और नजदीकी से देखनें का मजा लिया। जब हम होटल से निकले तब मौसम सुहाना था। धूप भी खिली थी, लेकिन जब हम नाव पर बैठे और नाव झील के बीचो बीच पहुंची तब हवा में इतनी ठंडक आई और बहुत सर्दी लगने लगी। खैर बच्चो को टोपी पहना दी और मैने भी जैकेट की टोपी औढ ली। और सर्द हवा से अपने आप को बचाया। बच्चो के साथ बडो को भी नाव में बैठ कर बडा मजा आ रहा था। बच्चे दोनो नाव की रेस लगा रहे थे। कुछ जल पक्षी झील में तैर रहे थे कुछ पानी में अंदर भी जाकर छोटी मछलियों को खा रहे थे। वैसे इस झील में बहुत मछलियां है और लोग उनको खाने के लिए भी देते रहते है, देवांग ने भी ब्रेड दिए मछलियों को खाने के लिए। फिर हमने माता नैना देवी के दर्शन किये। और एक रैस्टोरैंट पर डिनर करके वापिस होटल में पहुँच गए।
नैनीताल व झील के बारे आप सब जानते ही है। इसलिए ज्यादा विस्तार से नही लिख रहा हूँ । नैनीताल की झील लगभग 90 फीट गहरी है। और लगभग 1.5 किलोमीटर लम्बी है। इसके दोनो तरफ नैनीताल बसा है एक तरफ तल्लीताल व दूसरी और मल्लीताल। झील के एक किनारे पर माता नैनादेवी का पौराणिक व प्राचीन मन्दिर स्थित है। रात मे नैनीझील के पानी में मॉल रोड की लाईटो का प्रतिबिम्ब देखना बहुत अच्छा लगता है। नैनीताल आप किसी भी मौसम मे आ सकते है। गर्मियों की छुट्टियों में जब स्कूल बंद रहते है तब यहां आने से पहले होटल बुक करा कर ही आए क्योकी यहां पर बहुत भीड हो जाती है। नैनीताल के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जहां से नैनीताल के लिए बस व टैक्सी निरंतर अंतराल में आपको मिलती है।