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सोमवार, 28 अप्रैल 2014

ऊटी से कुन्नूर तक यात्रा(toy train)

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22 जून 2013 की सुबह जल्दी ही आंख खुल गयी. ज्यादात्तर जब हम बाहर जाते हे तब सुबह जल्दी ही उठना चाहिए, जिससे हम अपने बनाये कार्यक्रम के हिसाब से पूरे दिन घूम-फिर सके.
खिडकी से बाहर देखा तो बारिश हो रही थी.एक बार तो मन मे आया की लेट जाओ, जब बारिश रूकेगी तभी चलेगे. पर मन मे आया की "नही जल्दी उठो ओर चलो ये तो पडती ही रहेगी"
चाय पीने के बाद नहाधौकर तैयार हो गए चलने के लिए.नाश्ते का आर्डर कर दिया सभी ने आलू के पराठे दही के साथ चट कर डाले ओर निकल पडे रेलवे स्टैशन की तरफ क्योकी आज हमे ऊटी से कुन्नूर तक ट्रेन की यात्रा करनी थी.होटल से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर
ऊटी का रेलवे स्टैशन था,इसलिए हम पैदल पैदल ही चलते हुए वहां पहुचं गए. यह ऊटी के बीचो बीच एक मेन चौराहे के पास ही बना है.यह रेलवे स्टैशन बहुत छोटा सा है,ओर सिंगल व छोटी लाईन का है इस पर एक छोटी सी ट्रेन(शायद भाप या डिजल वाला इन्जन) कुन्नूर तक चलती है.टिकेट तो हमने दिल्ली से ही बुक करा लिए थे एक तरफ के इसलिए हमे टिकेट काऊंटर पर लगी लाईन मे नही लगना पडा.ओर सीधे पहुचें प्लेटफार्म पर,दो चार मीनट मे ट्रेन भी आ पहुची.लोग ट्रेन के साथ फोटो खिचवा रहे थे तभी एक सीटी बजी ओर हम अपनी सीटो पर बैठ गए ओर चल पडे कुन्नूर की ओर..
ट्रेन मे बैठ कर अच्छा महसूस हो रहा था.जल्दी ही पूरी ट्रेन की सीटे यात्रीयों से भर गई.स्टैशन मास्टर ने झंडी दिखाई ओर ट्रेन चल पडी अपनी मंजिल की ओर,
ऊटी से कुन्नूर के बीच 22 किलोमीटर की दूरी के बीच 6 या 7 स्टैशन पडते है जो की बहुत छोटे थे. इन पर यह ट्रेन एक-दो मीनट के लिए रूकती ओर सीटी बजा कर फिर चल पडती. रास्ते मे कितने मोड,झरने, कितनी गुफा व पूल आए, याद नही पर यह मन मोह लेनी वाली यात्रा थी.अगर कोई ऊटी जाए तो उसे इस ट्रेन की यात्रा जरूर करनी चाहिए.जंगलो से निकलती व चाय के बगानो को पार करती यह छोटी सी ट्रेन बडी अच्छी दिखती है.रास्ते मे कई गांव पडते है जहा बच्चे ट्रेन का इंतजार करते रहते है ओर यात्रीयों को बाय बाय करते है.
यात्री भी इस यात्रा का पूरा लुफ्त उठाते है जब भी कोई गुफा आती पूरी ट्रेन मे यात्रीयों का शोर गुंजने लगता.बच्चे तो बच्चे,बडे भी शोर मचाने मे कम नही थे.यह ट्रेन पहाडीयों के बीच से तो कभी खाई की तरफ तो कभी सडक के साथ साथ चलती है जब ट्रेन किसी मोड पर मुडती तब उसको देखने व फोटो खिचने के लिए यात्री खिडकीयों की तरफ रूख करते.
इन सब के बीच कुन्नूर कब आ गया हमे पता ही नही चला.स्टैशन पर गाडी रूकते ही हम बाहर निकल पडे,एक बाजार मे पहुचे.
यहा पर सभी प्रकार की दुकाने है ओर सभी प्रकार का समान उपलब्थ है.यहा पर सिल्क की साडियो की दुकान बहुत है वो इसलिए की साऊथ इन्डिया मे ज्यादातर औरते व लडकियां सिल्क की साडी व कुर्ते ही पहनती है.थोडी देर ऐसे ही कुन्नूर के बाजार मे घुमे.
कुन्नूर के चाय के बगान बडे लोकप्रिय है जहा से चाय विदेशो तक जाती है (यह हमे एक चाय विक्रेता ने बताई).हम बागान मे जाना तो चाहते थे,पर हम तेज बारिश की वजह से वहा जा ना सके, इसलिए वापिस स्टैशन की तरफ चल दिए,रास्ते मे एक होटल पर खाना खाकर स्टैशन पहुंचे. ट्रेन के लिए पता किया तो जबाब मिला की अभी 15मिनट बाद ट्रेन आएगी, जब तक मैने ऊटी तक के टिकेट ले लिए ,जब टिकैट के पैसे दिए तो पता चला की कुन्नूर से ऊटी तक 8रू० का किराया है जबकी दिल्ली से बुक कराने पर120 रू० के आसपास लगे थे एक सवारी के. मुझे बहुत हैरत हुई की सिर्फ 8रू०, बस थोडे समय के लिए हम स्टैशन पर बैठे रहे कुछ समय के बाद ट्रेन आ गई ओर हम उस मे जा बैठे.ओर वापिस ऊटी की तरफ चल पडे.....
यात्रा जारी है..........

12 टिप्‍पणियां:

  1. वाहा सचिन भाई सुन्दर-अति सुन्दर यात्रा

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  2. ​बहुत सुन्दर दृश्यों से भरा हुआ यात्रा वर्णन ​
    ​! तोय ट्रैन तो यात्रा का मजा दोगुना कर देती है
    आपकी बाकी यात्राएं फिर कभी पढूंगा

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  3. सुन्दर चित्र,ऊटी कुन्नूर यात्रा की यादें ताजा हो गयी पढ़कर

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  4. सचिन भाई सुन्दर-अति सुन्दर यात्रा

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  5. सचिन भाई ऊटी पर्सनोल घूमने में कितना खर्च करना पड़ेगा

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    1. यह तो आप पर ही निर्भर है की आप कहां से, कैसे व किस प्रकार की सुविधा चाह रहे है। बाकी रहना व खाना वहां थोडा मंहगा है।

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