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12, Sep, 2015
सुबह आंखे जल्दी ही खुल गई, मोबाईल में देखा तो सुबह के 5 बज रहे थे। खिड़की से बाहर देखा तो घुप्प अंधेरा चारों ओर छाया हुआ था। फिर से बेड पर लेट गया, पर नींद नही आई, लगभग 5:30 पर प्रवीण व ललित भी ऊठ गए। सबका मन चाय पीने को कर रहा था। पर हम जानते थे की इस समय चाय मिलना नामुमकिन है। लगभग आधा घंटे बाद हम तीनों होटल से निकल कर बाहर आए। बाहर आते ही हल्की हल्की सर्द हवाओं ने हमारा स्वागत किया। ओरो का तो पता नही पर मैं एक गर्म स्वेट शर्ट जरूर लेकर आया था, इसलिए बिना देरी लगाए मैंने तो अपनी स्वेट शर्ट पहन ली। अभी दुकानें, रेस्ट्रोरेंट सब कुछ बंद थे, इसलिए हम लोगों ने नौकुचिया ताल जाने की सोची। भीमताल से नौकुचिया ताल लगभग 4-5km की दूरी पर स्थित है। हम लोग गाड़ी मे बैठ गए। गाड़ी मैं चला रहा था, गाड़ी के शीशे खोल दिए गए ताकि बाहर की स्वच्छ व शीतल हवा, हमे मिलती रहे। पहले रास्ता थोड़ा ऊँचाई का है, लेकिन फिर रास्ता समतल हो जाता है, कही हल्की चढ़ाई तो कही उतराई, पहाड़ी घुमावदार रास्तों पर गाड़ी चलाने का अपना ही मजा है। जहां अच्छा सा नजारा दिखता है, वही गाड़ी साईड मे लगा दी जाती है। ओर प्रकृति की सुंदरता को महसूस किया जाता है। हम मुश्किल से 15 मिनट मे ही नौकुचिया ताल पर पहुँच गए।
नौकुचिया ताल समुद्र तल से लगभग 1292 मीटर ऊंची है, झील की शुरूआत मे कमल के बहुत से फूल खिले थे, जहां पर लिखा था की फूल तोड़ने पर रू०500 का जुर्माना देना होगा, यहां पर बहुत सारी छोटी छोटी मछलीया थी, जो शायद मछलियों के छोटे बच्चे हो, लेकिन उन छोटी मछलियों को छोटी छोटी व प्यारी चिड़िया अपना भोजन बना रही थी। कमल वाले तालाब के पास ही बोटिंग स्टेंड भी है। यहां पर आप इस खूबसूरत झील मे नोकाविहार कर सकते है।
पास मे कुछ होटल व रेस्ट्रोरेंट भी है। जो फिलहाल अभी खुले ना थे, पर एक रेस्ट्रोरेंट में कुछ चहल पहल देख कर हम तीनों हवा पहुँचे, वहां पर मौजूद कर्मियों ने बताया की इस समय केवल चाय ही मिलेगी हमने कहां "भाई तू चाय ही पीला दे"। कुछ देर बाद वह तीन चाय ले आया, हमारी गाड़ी मे कुछ नमकीन बिस्किट व फैन रखे हुए थे, इसलिए चाय संग उन्हें ग्रहण कर लिया। चाय पीने के बाद शरीर मे नई उर्जा का आभास हुआ। हम कुछ दूर झील के साथ साथ टहल रहे थे, तभी झील मे चारों ओर पानी हिलने लगा, फिर पानी से बुलबुले उठने लगे। वहां पर जा रहे एक व्यक्ति ने बताया की यह बुलबुले झील की मछलियों को सांस लेने मे मदद करते है। फिर हम लोग वहां से गाड़ी मे बैठ कर झील के साथ साथ चलते रहे। सुबह सुबह का समय, पेडो की हिलती टहनियां, चिड़ियो की चहचहाहट ओर पता नही क्या क्या देखने को मिला हमे। झील का रूप हर जगह अलग सा लगता, कही पानी हरा तो कही काला लगता, पर लगता सुंदर ही। हम कुछ दूर ही चले थे की सड़क आगे से बंद मिली या यूं कहे की सड़क केवल यही तक ही थी। कुछ दुकानें लगी हुई थी, कुछ बोटिंग कराने वाले भी बैठे थे। यहां से झील बहुत बड़ी व सुंदर दिख रही थी। यहां पर बने बोट स्टेंड पर हमारे वकील साहब जा पहुँचे। लेकिन बोट स्टेंड पर कोई भी बोट वाला मौजूद नही था, सभी बोट आपस मे रस्सीयों से बंधी हुई थी, यहां पर हमने झील के पानी मे कुछ लाल रंग के केकडे भी देखे।
कहते है की यह झील कुमाऊँ की सबसे गहरी झील है। यह लगभग 1km से ज्यादा लम्बी व आधा किलोमीटर से ज्यादा चौड़ी है, ओर यह लगभग 45 मीटर गहरी भी है। इस झील के नौ कोने है, इसलिए इसे नौकुचिया ताल कहते है। कहते है की कोई भी इस झील के नौ के नौ कोनो को एक साथ नही देख सकता है। ओर यह सच भी है, झील के नौ कोनो को एक साथ देखा ही नही जा सकता है, क्योकी यह झील टेढ़ी मेढी बनी है।
झील के पास काफी समय बिता कर हम वापिस भीमताल की तरफ चल पड़े। रास्ते मे राम भक्त हनुमान जी की एक विशाल मूर्ति देखने को मिली व पास मे ही गुफा वाला मन्दिर भी था। चुंकि हम नहाए नही थे, इसलिए हनुमानजी जो सड़क से ही प्रणाम कर हम भीम ताल की तरफ चल पड़े। रास्ते मे ओर भी नजारे दिखे जैसे ऊंचे नीचे सीढ़ीनुमा खेत व हल जोतता किसान, दिखने मे बड़े सुंदर लग रहे थे। जिन्हें देखते देखते हम भीमताल आ पहुँचे।
कुछ फोटो देखें जाए इस यात्रा के....
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छोटी छोटी चिड़िया झील के किनारे देखने को मिली। |
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नौकुचिया ताल का एक हिस्सा। |
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अभी बोट वाले आये नहीं है शायद |
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सुबह की पहली चाय |
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ललित और मैं (सचिन ) |
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प्रवीण और मैं |
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झील हर जगह से बेहतरीन दिख रही थी |
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बोट स्टैंड पर हम तो थे, पर बोट वाला ही नहीं था। |
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पहाड़ी मिर्ची |
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रास्ते में हनुमानजी की विशाल मूर्ति के दर्शन हुए। |
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दूर दिखता एक बैल |
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थोड़ा पास से देखते है। |
ये सुन्दर वादियां ,जितनी बार यहाँ के फ़ोटो देखो अपनी और बुला ही लेती हैं।
जवाब देंहटाएंजी हर्षिता जी सही कहां आपने, ये पहाड़ अपने पास बुला ही लेते है।
हटाएंभाइ अब असली मजा आया सारे फोटो मस्त है और
जवाब देंहटाएंसुब्ह सबेरे के नजारे का कहना ही क्या
धन्यवाद विनोद भाई।
हटाएंनौकुचिया ताल की यात्रा अच्छी लगी। काश बोटिंग भी कर पाते आप लोग।
जवाब देंहटाएंकोठारी साहब ठीक फरमाया आपने पर कोई नही! हम सुबह सुबह की सैर वो भी झील के किनारे कर आए यह भी हमारे लिए बहुत है।
हटाएंभाई अपनी गाड़ी की अपनी मरोड़ जित चाह उत रोक
जवाब देंहटाएंशानदार पोस्ट ओर फोटो भी बहुत बढ़िया है।
सही कहा सचिन भाई अपनी गाड़ी का यही फायदा होता है सफर में।
हटाएंधन्यवाद
ये नहाने का और हनुमान जी का क्या कनेक्शन है?????
जवाब देंहटाएंनीरज भाई सबकी अपनी श्रधा होती है, मैं जब मन्दिर नही जाता, जब तक नहा नही लेता या छिंटे नही मार लेता। वैसे मुझे पता है यह घुमक्कडी के नियम के विपरीत है।
हटाएंविवरण पढकर फोटो देखकर नौकुचिया ताल की अपनी यात्रा ताजा हो गयी | आपको मंदिर में जाना चाहिए था ....मंदिर में नीचे वैष्णो देवी जी गुफा है और फिर नीचे सुन्दर -सुन्दर छोटे मंदिर इस परिसर में बने हुए है ....
जवाब देंहटाएंरितेश जी धन्यवाद।
हटाएंजी अगली बार अवश्य जाऊंगा, क्योकी इस बार वहां जाना ना हो सका।
अब क्या करे रितेश सचिन नहा लेता तो अच्छा रहता ना
हटाएंबहुत सुंदर यात्रा ,बहुत सुंदर चित्रण |सुबह का वो नज़ारा आहा ,मज़ा अ गया |हनुमान जी का मंदिर भी बहुत अच्छा बना है |रितेश जी के मार्गदर्शन में हम भी यहाँ की यात्रा कर चुके हैं |ये कारवां यूँ ही चलता रहे |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रूपेश जी
हटाएंबहुत सुंदर यात्रा ,बहुत सुंदर चित्रण |सुबह का वो नज़ारा आहा ,मज़ा अ गया |हनुमान जी का मंदिर भी बहुत अच्छा बना है |रितेश जी के मार्गदर्शन में हम भी यहाँ की यात्रा कर चुके हैं |ये कारवां यूँ ही चलता रहे |
जवाब देंहटाएंसचिन बिना नहाये धोये जाओगे तो यही हाल होगा :) बेचारे नाव वाले तो नह धोकर ही आंऐगे हा हा हा
जवाब देंहटाएंबहुत सुबसुरत झील मैंने नहीं देखि इसका मुझे अफ़सोस है। अगली बार होटल से नहाकर निकलना ही ही ही ही
बुआ जी कोई नही अगली बार देख लेगें, पर जब आप यहां आए, हनुमानजी के दर्शन अवश्य करना, रोड से नही मन्दिर के अंदर जाकर।
हटाएंइस बार के फोटो अत्यंत खुबसूरत है, कुमाऊँ की वादियाँ झील की गहराइयाँ एवं हर ओर फैली खूबसूरती का काफी अच्छी तरह से संयोजन किया है....... !!!
जवाब देंहटाएंशैलेंद्र भाई कुमाऊँ है ही इतना खूबसूरत की जहां की तस्वीरें उतारो, शानदार ही आती है।
हटाएंब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद।