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बुधवार, 12 मार्च 2014

ग्वालियर की यात्रा-3

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आज हम 3-1-14 की सुबह 6-30 ऊठ गए.कमरे से ही बेल बजाई तो वेटर आ गया उसे बोला की दो चाय ले आए. थोडी देर मे चाय आ गई ,चाय पीने के बाद वेटर से कहा की हमे आज  चेकआऊट करना है, तो बिल लेकर आना ओर हमे 8 बजे दो दो पराठे दही के साथ दे देना ओर उनका बिल भी लेते आना.हम नहा धोकर तैयार हो गए,नाश्ता करने के बाद होटल का बिल व वेटर को टिप देकर हम गोला का मन्दिर (चौक का नाम)पहुंचे. वहा से टेम्पो वाले से पुछा की सूर्य मन्दिर चलोगे तो उसने हामी भरी तो हम टेम्पो मे सवार हो गए,15 मिनट मे हम सूर्यमन्दिर पहुंच गए.टेम्पो वाले को भाडा देकर हम मन्दिर के  मेन गेट से होते हुए मन्दिर परीसर मे पहुंचे .यह मन्दिर बिडला ग्रुप वालो ने सन् 1985 मे बनवाया था वही के पंडत जी ने बताया.काफी सुन्दर बना है यह मन्दिर. यह मन्दिर सूर्य भगवान को समर्पित है ओर कोणार्क के सूर्य मन्दिर की कॉपी हे मतलब उस मन्दिर की तरह ही दिखता है लाल पत्थर से इसका निर्माण हुआ है.सूर्य के घोडे व रथ के पहिये पत्थर से निर्मित हे ओर बहुत सुन्दर भी,चारो तरफ हरे भरे बगिचे ओर बीच मे मन्दिर इस मन्दिर को ओर सुन्दरता प्रदान कर रही थी.मैने मन्दिर के दर्शन किये ओर बाहर आ गया.बाहर आकर हम पैदल ही चल पडे तो देखा की जहां से हम टेम्पो मे बैठे थे वहा से मन्दिर केवल 500 मीटर की दूरी पर ही था.पर टेम्पो वाला हमे बडे रास्ते से लेकर गया,चलो छोडो...तो हम गोला मन्दिर चौक पहुंचे, हमने सोचा पास ही टिगरा डैम है उसे ही देख लेते है पर एक स्थानीय दुकानदार न हमे बताया की वहा इस समय पानी कम होता हे तो आप बेकार ही समय खराब करोगे ओर पुलिस वाले आपको पानी के नजदीक भी नही जाने देगे क्योकी वहां मगरमच्छ भी हे तो हमने वहा जाने का विचार टाल दिया ओर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे पर दिल्ली को जाने वाली सभी ट्रेने दो-तीन घन्टे लेट थी. तो हमने सोचा चलो बस से ही चला जाए तो हम बस अड्डे पहुंचे ओर दिल्ली के लिए जाने वाली एक कोच बस मे बैठ गए.वो ठीक दस बजे ग्वालियर से चल दी ओर आगरा होते हुए पलवल के रास्ते दिल्ली सराय काले खां रात को8:30 पहुंची.वहा से आटो पकड कर हम 9बजे हम घर पहुचे.

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