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शनिवार, 1 मार्च 2014

ऋषिकेश में रिवर राफ्टिंग का मज़ा

यह बात 01 अप्रैल 2013 की है. मेरे दोस्त गौरव का फोन आया की कल रिशिकेश मे राफ्टींग करने का कार्यक्रम बनाया है  क्या चलेगा? मैंने कहा की अप्रैल फूल बनाने के लिए मै ही मिला हूँ. अगले दिन दोपहर बारह बजे गौरव मेरे पास आया और बोला की जल्दी से एक जोडी कपडे रख ले अभी रिशिकेश निकलना है. मैंने भी  फटाफट एक बेग में कपडे रखे और कहा चल भाई अब कहा चलना है।  गौरव ने बताया की उसका एक दोस्त भी हमारे साथ चलेगा और उसको उसके ऑफिस से ही लेना है. लगभग शाम के 5 बजे हम दिल्ली से निकल पड़े और रात के करीब  12 बजे हरिद्वार पहुंचे। देख कर एक होटल में रूम ले लिया खाना हम रास्ते में ही खा लिया था इसलिए जाते ही सो गए।
अगले दिन जल्दी उठ गए और केवल फ्रेश होकर ऋषिकेश की तरफ निकल पडे. रिशिकेश की तरफ सुबह सुबह बडा ही अच्छा मौसम हो रहा था. हम सुबहे के 7:30 बजे ऋषिकेश की मुनी की रेती पार्किंग में पहुंच गए. गाडी को यही खडी कर आगे चल पडे। राफ्टिंग कराने वाले का ऑफिस पास में ही था. उसने हमसे 400 रूपया प्रति बन्दा लिया शिवपूरी से लक्छ्मण झूला तक के. मैंने उसको तीन आदमी के हिसाब 1200 रूपया दे दिए। उसने कहा की उसकी गाडी अभी ऊपर गई है आप थोड़ी देर बैठो गाड़ी आते ही आपको बुला लूंगा।
हम सुबह से ही खाली पेट थे इसलिए पास में  ही एक ढाबे पर चाय ओर प्याज के पराठे बोल दिए थोड़ी ही देर में चाय और परांठे हमारे सामने थे और हमने वह जल्दी ही निपटा दिए. परांठे बढ़िया बनाये थे उस ने या फिर हमे भूख ज्यादा लग रही थी खैर जो भी हो अब हमारी भूंक शांत हो चुकी थी।
थोडी देर मे राफ्टींग वाला बोला की गाडी तैयार है तो हम बोले की चलो फिर देरी किस बात की है। आखिरकार हम चल पडे, रिशिकेश से शिवपुरी 15 किलोमीटर की दूरी पर पहाडी पर स्थित है।  हम लगभग 10 बजे शिवपूरी पहुंच गए यहॉ पर रूकने के लिए तम्बू भी मिलते है. यह बहुत ही सुन्दर जगह है.  गंगा का जल का वेग देखकर जान सी निकल गई, बहुत तेजी से पानी बह रहा था हम तो तैरना भी नही जानते थे इसलिए डर तो लगना ही था तभी राफ्ट के कैप्टन दिपक ने इशारा किया और बोला की राफ्ट तैयार है उसने हमे जरूरी हिदायत दी की कैसे चलना है, कैसे बैठना है, और जैसा मे कहुं वैसे ही पालन करना है नही तो राफ्ट पलट भी सकती है।  उसके यह कहते ही सभी 9 मैम्बर जिन्हे राफ्टिंग करनी थी वह एक दूसरे का मुँह देखने लगे जैसे यह हमारी आखरी ट्रिप हो।  हमारा सारा समान जैसे फोन,घडी,पर्स आदी सब एक वाटरप्रुफ बैग मे रखकर उसे राफ्ट से बान्ध दिया आखिरकार हम ने गंगा मईया की जय का जयकारा लगाया और राफ्ट को पानी में उतार दिया। पानी में उतरते ही राफ्ट तेज़ गति से ऊपर नीचे होती आगे बढ़ रही थी। डर भी लग रहा था और मज़ा भी आ रहा था.
जहा नदी में पानी तेज़ी से निकलता है कुछ पत्थरो से होकर उनको रेपिड बोलते है उधर राफ्ट बहुत तेज़ी से आगे बढ़ती है।
पहला रैपड आया जिसको गोल्फ कोर्स कहते है इस रेपिड पर ही बहुत हादसे  होते है हमे दीपक ने पहले ही बता दिया था इसलिए हम चप्पू सही चला रहे थे फिर भी यहां पर हमारी राफ्ट पलटने से बाल-बाल बची लकिन हमारी राफ्ट के पिछे वाली दो राफ्ट पलट गई और बाद मे पता चला की उस पर सवार एक टूरिस्ट की तो पत्थर से टकराने से मौत भी हो गई थी। हमारी राफ्ट आगे बढ़ती है, अगला रैपड रोलरकोसटर नाम का आया यह भी खतरनाक था इसमें राफ्ट पूरी तरह से 360 डिग्री में घूम गयी और हिचकोले खाते हुए आगे बढ़ती हुई निकली। हमारी राफ्ट से दो लड़के गंगा में गिर भी गए लकिन उन्हें जल्द ही ऊपर खींच लिया गया . फिर एक बीच में एक जगह आती है जहां पर राफ्ट को किनारे लगा देते है और जो कुछ खाना पीना चाहता हो वह खा पी सकता है उस जगह को मैगी प्वाइंट कहा जाता है। यहा पर लोग एक चट्टान से नदी में भी कूदते है जिसका अपना अलग ही रोमांच होता है।
 कुछ समय बिता कर  हम राफ्ट पर सवार होकर आगे चल पड़े फिर आगे तीन रैपड और आए पर यह तीनो आसान थे, अब हम राम झूला पहुँच गए थे यहाँ से आगे गंगा समतल होकर बहती है। दिपक जो हमारी राफ्ट का कैप्टन था उसने कहां की जिसको पानी में नहाना है या कूदना है वह रस्सी पकड कर गंगा जी मे नहा सकते है। उसके कहते ही सभी गंगाजी मे कूद गए , खुब नहाए. लक्शमण झूला पहुच कर राफ्ट किनारे लगा  दी. बाद में हमे राफ्ट के कैप्टन दीपक ने बताया की गंगा में जल बहुत आ रहा है और कल भी राफ्ट पलट गयी थी जिसमे दो लोगो की मौत हो गयी थी. शायद ऊपर पहाड़ पर जबरदस्त बारिश हो रही है. हमने उसको धन्यवाद किया और अपनी कार लेकर घर की तरफ चल पड़े और शाम को घर पहुंच गए.

मैं सचिन 

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