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बुधवार, 19 मार्च 2014

Kashmir trip-2,कश्मीर यात्रा

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आज सुबह जल्दी ही आंखे खुल गई.बाहर से शोर आ रहा था.खिडकी से देखा तो नीचे BSF के जवान सुबह की कदम चाल (परेड) कर रहे थे.बाहर बहुत ठण्ड थी फिर भी सभी जवान पूरी तरह से अपना काम कर रहे थे.चाय,नाश्ता करने के बाद,होटल का बिल चुकता कर दिया गया.ओर होटल से बाहर आ गए.एक आटो पकडा ओर टैक्सी स्टैन्ड पर पहुंच गए वहा से टगंमर्ग के लिए टैक्सी चलती है वही से एक टैक्सी मे बैठ गए.टैक्सी थोडे समय बाद ही चल पडी.हमारे साथ कुछ कश्मीरी भी टैक्सी मे बैठे थे.टगंमर्ग से कुछ पहले हल्की हल्की बर्फ सडक के किनारे पडी देखी.जिसे देखकर गौरव बडा खुश था मेने उस से कहा की आगे तुम्हे बर्फ ही बर्फ मिलने वाली है.टैक्सी टगंमर्ग मे एक मार्किट पर रूकी ओर हम वही उतर गए.टैक्सी वाले को 120 के हिसाब से तीन आदमीयो के 360 रू० दे दिए गए.टगंमर्ग मे काफी बर्फ पडी हुई थी जिस कारण यहा काफी ठण्ड थी हम एक दुकान पर पहुंचे ओर तीनो ने गर्म जुराबें खरीद कर वही पहन ली जिससे हमे काफी आराम मिला.सुबह नाश्ता ही किया था इसलिए कई ढाबे देखे पर सभी मुस्लिम ढ़ाबे थे.इसलिए हम एक चाय की दुकान पर पहुचे ओर चाय के साथ गर्म गर्म समौसे खा लिए.
अब हम गुलमर्ग जाने वाली टैक्सी स्टैन्ड पर पहुचे.वहा से हमने 500 रू मे एक टैक्सी कर ली.टैक्सी वाले ने कहा की मै आप लोगो को आगे कुछ दूरी पर मिलुगा आप मुझे वहा मिले.हम उधर की तरफ चल दिए .वही पर बर्फ मे चलने वाले लम्बे जूते मिल रहे थे तीनो ने वो जूते किराये पर ले लिए ओर टैक्सी मे बैठ गए.आगे चले ही थे की एक जगह पुलिस वालो ने टैक्सी को रोक दिया ओर ड्रायवरं से बोला गया की टैक्सी मे आगे के टायरो मे लोहे की चैन बांध ले जिससे गाडी बर्फ मे फिसले नही.गाडी मे चैन बांधकर हम चल पडे रास्ते मे हमे बहुत बर्फ पडी मिली एक जगह तो हमे उतर कर टैक्सी मे धक्का भी लगाना पडा.आखिरकार हम गुलमर्ग पहुंच ही गए.गुलमर्ग कश्मीर की सुन्दर जगहो मे से एक है.यहा एक रोपवे (ट्राली) भी चलती हे जो हमे गुलमर्ग की ऊंची पहाडी पर ले जाती हे.गुलमर्ग पहुंच कर हमने पहले होटल मे कमरा लेना पसंद किया ओर बहुत ढुढने पर3000रू मे एक रात के लिए कमरा मिल गया.कमरे मे पहुंच कर थोडा आराम किया गया.शाम के 4बजे हम बाहर घुमने के लिए निकल पडे.बाहर निकलते ही बर्फ पर चलने वाली गाडी(स्लैज) वालो ने घेर लिया.50 रू प्रति व्यक्ति के हिसाब से वे हमे नीचे एक ढलान से होते हुए खिलनमर्ग नामक जगह ले गए वहा से हम तीनो एक पहाडी पर चढ गए हमारे साथ साथ वो स्लैज वाले भी ऊपर आ गए ओर बोलने लगे की यह जगह खतरनाक है यहा जंगली जानवर आ जाते है इसलिए आप लोग हमारी स्लैज पर बैठ कर नीचे चलो पर हमने उनसे कहा की हमे कुछ देर इस शान्ति मे बैठने दो ओर हम अब स्लैज पर नही बैठेगे.थोडी देर बाद वह तीनो वहा से चले गए.अब हम तीनो के अलावा वहा कोई नही था.वहा पर हमने एक दूसरे पर खुब बर्फ के गोले फैक फैक कर खेलते रहे.खुब मस्ती करते रहे.वहा से एक पहाडी दिख रही थी उस पर ढलते सूरज की किरणे पडने के कारण उसका कलर सोने जैसा लग रहा था. बहुत खुबसूरत लग रही थी वह पहाड की चोटी.
अब कुछ कुछ अंधेरा होने लगा था.इसलिए हम बडी सावधानी से नीचे उतरने लगे मै तो कई बार बर्फ पर फिसल कर गिर भी गया पर चोट नही लगी.खिलनमर्ग मे एक मन्दिर भी था.
नीचे उतर कर थोडा चलने के बाद हम मुख्य सड़क पर पहुंच गए ओर वही एक ढा़बे पर राजमा चावल खाए गए. घुमते फिरते हम होटल पहुंचे. बाहर सर्दी बहुत थी कमरे मे पहुंच कर भी ठण्ड लगती रही इसलिए वेटर को बुला कर कमरे मे अलावघर(आग जलाने की जगह) मे लकडियां जलवा ली कुछ ठण्ड से राहत मिली .फिर हम कब सो गए पता ही नही चला.रात को बाहर पटाखो व शोर सुनकर हम तीनो जाग गए देखा लोग एक दूसरे को नव वर्ष की शुभकामनाएं दे रहे है .हमने भी एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं दी ओर सो गए.
यात्रा अभी जारी हे...

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