सफदरजंग का मकबरा..
सफदरजंग का मकबरा एक मुगलकालीन व ऐतिहासिक ईमारत है,जो नई दिल्ली में अरबिन्दो मार्ग पर स्थित है तथा इन्डिया गेट के समीप ही स्थित है,मकबरा का अर्थ होता है कब्रगाह,यह मकबरा अन्तिम मुगल शासक (बहादुर शाह जफर) के वजिर या कहे की प्रधानमंत्री सफदरजंग को समर्पित है जो उनके पुत्र शुजाऊदौला ने सन् 1753-1754 की अवधि में बनवाया,यह मकबरा भी हुमायुं के मकबरे के समान ही चारबाग शैली पर बना है,चारबाग शैली का मतलब है की चारों ओर बाग बगिचे ओर बीच में इमारत,वैसे तो हमारे भारत वर्ष मे बागबगिचो मे कई इमारते है पर यह शैली मुगलो ने ही भारत मे पहली बार बनाई थी,यह भी एक ऊंचे चबुतरे पर बना है,जैसे हुमांयु का मकबरा व ताजमहल बना है,इसमे एक मुख्य कक्ष है जो,अन्दर से संगमरमर के पत्थर से निर्मित है,इसी कक्ष मे सफदरजंग की कब्र भी है,बाकी इस कक्ष के चारों तरफ भी चार कक्ष ओर बने है,यह इमारत लाल बलुआ पत्थर व सफेद संगमरमर से बनी है,अन्दर पत्थर पर जाली कटी हुई है जो हर जगह लगी हुई है जो इस इमारत को हवादार बनाए हुए है,यह इमारत ज्यादा बडी तो नही है,पर दिखने मे बडी ही खूबसूरत हैं,सफरजंग का मकबरा सप्ताह के सभी दिन खुला रहता है,इसे देखने के लिए टिकेट लगता है जिसकी दर है 5रू.प्रति व्यस्कहै पर बच्चो का प्रवेश निशुल्क है,आप यहा पर फोटोग्राफी कर सकते है,पर अगर विडियो बनानी है तो वीडियो कैमरे का 25ऱू का टिकेट अलग से लेना होगा, अगर कोई दिल्ली घुमने के लिए आए तो कुछ समय यहां पर भी व्यतीत कर सकते है..
अब आगे..
हम तीन दिल्ली रेल संग्रहालय से निकल कर वापिस घर की तरफ चल पडे जब हम इंडिया गेट पर पहुचें तब मुझे ध्यान आया की,यही पास मे ही सफदरजंग का मकबरा भी है,तब हम चल दिए उसको देखने के लिए,हम तुगलक रोड होते हुए अरबिंदो मार्ग पर पहुचें पर हमसे एक गलती हो गई हमे दाहिने मुडना था पर हम सीधे ही चलते रहे इस गलती का अहसास हमे जल्द ही हो गया ओर हम आगे से यू-टर्न लेकर सीधे मकबरे के सामने स्थित पार्किंग में गाड़ी लगा दी फिर बाहर ही बनी टिकेट खिडकी से दो टिकेट ले कर अन्दर प्रवेश किया,मैन दरवाजे पर जब हम पहुचें तो वहा से मुख्य मकबरा बड़ा ही शानदार दिख रहा था,दूर से ऐसा लग रहा था जैसे कोई चित्र हमारे सामने रखा हो,इसे दूर से देॆखते हुऐ हम इसके ओर पास होने के लिए चल पडे,यह बीचो बीच बना ओर इसके चारों तरफ गार्डन बना हुआ है,जहां पर कई किस्म के फूल, पौधे लगे हुए थे,वाकई यहा आकर हमे लगा की हम एक शानदार जगह पर आए है,यहां पर हमारे अलावा कुछ ही पर्यटक थे,हम मकबरा देखने के लिए सीढियो से होते हुऐ ऊपर पहुचे,जब मेने इसको देखने के लिए एक नजर इस इमारत पर डाली तो यह बडी विशाल व ऊंची लग रही थी,जब हम मुख्य कक्ष में जाने लगे तो हमे देखकर वहा मौजूद गार्ड ने जोर से सीटी बजाई जिसे सुनकर अन्दर बैठे प्रेमी जोडे बाहर आ गए,मुझे थोडा अजीब सा लगा की यहा इतनी ऐतिहासिक इमारत का ऐसे उपयोग हो रहा है,हम अन्दर की तरफ चल पडे,अन्दर आने पर हमने इसकी नक्काशी देखी जो बहुत शानदार ढंग से की गई थी, अन्दर सफेद संगमरमर पत्थर का प्रयोग किया हुआ है,कक्ष के बीचोबीच सफदरजंग की कब्र बनी हुई है,यहा पर हवा बडी ही ठंडी लग रही थी ऐसा लग रहा था,जैसे हर कमरे मे ऐसी लगा हो,जब मैने देखा की हर कमरे मे एक जाली लगी हुई है जिसमे से ठंडी हवा आ रही थी,शायद पहले के वास्तुकार ऐसी ही व्यवस्था करते थे वह मकान या इमारतो को इतना हवादार बनाते थे की जिस से वहा गरमी ना लगे,ऐसा ही एक उदाहरण जयपुर में स्थित हवा महल भी है..
देवांग यहा आकर बड़ा ही खुश था उसका मन घर जाने को ही नही कर रहा था मैने उसको बाहर आइसक्रीम खिलाने का वादा किया,ओर हम मकबरे से बाहर आ गए, फिर देवांग के साथ साथ हमने भी आइसक्रीम का मजा लिया ओर घर की तरफ चल पडे..........
पृष्ठ
गुरुवार, 11 जून 2015
सफदरजंग मकबरा(safdarjang's tomb)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
अच्छा मक़बरा है....!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद राजपूत जी ब्लाग पर आने के लिए
हटाएंदिल्ली मे बहुत मकबरे है उनमे एक यह भी है,