22 मार्च 2017
कैंची धाम से चलने चलने में ही दोपहर के 2 बज चुके थे। यहां से रानीखेत तक की दूरी मात्र 40 किलोमीटर ही है। और रास्ता भी कुछ दूर उतराई व फिर चढाई वाला है। रानीखेत पहुँचते पहुँचते दोपहर के 3:15 हो गए। रानीखेत से कुछ पहले एक रास्ता सौनी बिनसर को चला जाता है। जहां पर बिनसर महादेव मन्दिर व आश्रम है। हम सीधे चलते रहे। आगे चलकर एक रास्ता श्रीनगर को चला जाता है। पर हम सीधा रास्ता पकडे रहे। रानीखेत परेड ग्राउंड पर जाकर गाडी रोक दी। परेड ग्राउंड में काफी जवान मार्च फास्ट कर रहे थे। यहां से चलकर हम सीधा रानीखेत गोल्फ कोर्स के सामने से होते हुए। नैणी गांव रूके। नैणी गांव में बहुत होटल बने है और यह रास्ता आगे सोमेश्वर चला जाता है। शायद यहां से लगभग 30 किलोमीटर के आसपास ही है। हमने एक दो होटल देखे पर कुछ मंहगे लगे तो कुछ से सामने दिख रही बर्फ से ढंकी हिमालय की पहाडियों के दर्शन नही हो रहे थे। मै ऐसा होटल चाह रहा था जहां से यह नजारा दिखता रहे। खैर एक होटल मिल गया। नया बना है और उसका पहला सीजन ही है। होटल का नाम सहज था। इसके मैनेजर योगेंद्र जी (±919456721683) है। यही इस होटल की देख रेख कर रहे है। होटल में बडे बडे व साफ सुथरे कमरे है। मेरे पंसद वाले कमरे से ही हिमालय दिख रहा था। दो कमरो के एक रात रूकने के 2000 रू तय कर दिए। यानी 1000 प्रति कमरा। जगह व होटल को देखकर यह मंहगा सौदा नही था। जल्दी जल्दी समान रख व हाथ मुंह धोकर हम रानीखेत गोल्फ कोर्स मैदान पहुंचे।
|
रानीखेत का गोल्फ कोर्स |
रानीखेत:-- रानीखेत उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध व रमणीक पर्यटन स्थल है। यह समुंद्र की सतह से लगभग 1870 मीटर की ऊंचाई पर बसा है। इस शहर को भी अंग्रेजी हुकुमत ने बसाया था। उन्होने यहां पर अपनी सेना की छावनी स्थापित की। आज भी इस शहर में कुमाऊँ रेजिमेंट का मुख्यालय स्थापित है। सेना का शासन होने के कारण यह शहर सुंदर व साफ सफाई से पूर्ण है। कहते है की पहले कभी कोई रानी यहां की सुंदरता को देखकर यही बस गई थी। तब से इस जगह का नाम रानीखेत पड गया। यह बात कितनी सच यह तो कह नही सकता लेकिन रानीखेत की सुंदरता का वर्णन कैसे करूं क्योकी यहां पर हर जगह ही बहुत सुंदर है। उत्तराखंड के बाकी शहरो की तरह यहां पर होटल की भरमार, शोर शराबा नही है। यहां पर शांति है। मन्दिर है, पार्क है, जंगल है, सेना के जवान व संग्रहालय है, यहां पर चहकते पक्षी है, यहां से विराट हिमालय के दर्शन होते है। और क्या कहूं मै रानीखेत के संदर्भ में। इतना ही कहूंगा की रानीखेत बहुत सुंदर जगह है। रानीखेत से नैनीताल की दूरी 64 किलोमीटर व अलमोडा मात्र 48 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रानीखेत से कौसानी भी ज्यादा दूर नही है। रानीखेत में काफी दर्शनीय स्थल है- जैसे रानीखेत कुमाऊँ रेजिमेंट का संग्रहालय, झूलादेवी मन्दिर, रानीझील, बूबू आश्रम, हेडाखान मन्दिर, कलिका मन्दिर, चौबुटिया गार्डन, गोल्फ कोर्स, बिनसर महादेव मन्दिर।
हम लगभग शाम के 5:30 पर रानीखेत गोल्फ कोर्स गार्डन पहुंचे। यह गोल्फ कोर्स एशिया के सबसे ऊंचे गोल्फ कोर्स में से एक है। यह नौ छेदो वाला
गोल्फ कोर्स है। यह रानीखेत का प्रसिद्ध जगह है। रानीखेत आने वाले पर्यटक यहां जरूर आते है। यह एक लम्बा चौड़ा मैदान है जो ऊंचा नीचा बना है। यहा पर हरी व अच्छे से कटी घास बडी सुंदर लगती है। चीड का जंगल इस मैदान के तीनो तरफ फैला है। मैं
पहले भी एक दफा यहां आया था। उस समय यहां पर विवाह फिल्म की सुटिंग हो रही थी। काफी हलचल थी उस समय यहाँ पर। लेकिन आज यहां पर हमारे अलावा गिनती के दो चार लोग ही थे। लम्बा चौड़ा मैदान देख तीनो बच्चे मस्ती में इधर उधर भागने लगे। बच्चो को यहां पर बडा मजा आ रहा था। दो तीन लोग गोल्फ खेलने की किट लिए जा रहे थे। हम कुछ देर यहां पर बैठे रहे। फिर यहां से गाडी में सवार हो कर आगे चल पडे।
|
रानीखेत |
|
होटल सहज |
|
रानीखेत गोल्फ कोर्स मैदान |
|
मैं (सचिन) और देवांग |
|
खुले मैदान और पीछे चीड़ के पेड़ |
|
बंदरो की टोली |
रानीखेत कैंट एरिया पहुंचे। यह एक सुंदर साफ एरिया है। यही पास में रानी झील भी है। लेकिन हम यहां के एक प्रसिद्ध मन्दिर झूला देवी जा रहें थे। पास में ही कुमाऊँ रेजिमेंट का संग्रहालय भी है लेकिन वो इस समय बंद था उसको सुबह घुमा जाएगा। रानीखेत मॉल रोड होते हुए हम झूला देवी मन्दिर पहुंच गए।
झूला देवी मन्दिर:--
झूला देवी मन्दिर रानीखेत का प्रसिद्ध मन्दिर है। यह मन्दिर माता दुर्गा को समर्पित है। और लोग यहां पर बडी आस्था के साथ आते है मनौती मांगते है और ऐसा विश्वास है की यहां पर माता उन मनोकामनाओं को पूर्ण भी करती है। मनोकामनाएं मांगने वाले लोग यहां पर एक घंटी बांध कर जाते है। और मनोकामना पूर्ण होने पर इस घंटी को खोलने की भी आवश्यकता नही है। पहले यहां पर बलि प्रथा थी लेकिन फिर बलि प्रथा पर रोक लगा दी गई और घंटा या घंटी बांधने की पहल हुई। मन्दिर के बारे में एक कहानी भी है। कहानी के अनुसार बहुत पहले यह जगह बहुत बडा जंगल होता था। यहां पर जंगली जानवर गांव वालो को बहुत कष्ट देते थे। कभी उन पर हमला कर देते थे तो कभी उनके पालतु जानवरो को मार देते थे। शेर, चीते को बहुत डर था यहां पर। एक बार गांव वालो ने देवी की स्तुति की। माता ने प्रसन्न होकर एक गांव पिलखोली के व्यक्ति को सपने में दर्शन दिए और बताया की एक विशेष स्थान पर खुदाई करो वहां पर मेरी प्रतिमा निकलेगी उसी जगह मन्दिर बना कर मेरी पूजा अर्चना करो तुम्हारी व गांव वालो की सभी समस्याएं दूर हो जाएगी। बाद में जब यह बात सभी को पता चली तो उन्होने एक स्थान पर खुदाई की। खुदाई में एक देवी की प्रतिमा मिली। वही पर मन्दिर बनवाया गया और पूजा अर्चना की गई। माता के आशिर्वाद से गांव में जंगली जानवरों का आंतक ठहर गया। तब से आजतक यहां पर माता की पूजा की जाती रही है। इस मन्दिर का नाम झूला देवी कैसे पडा इस विषय पर भी एक कहानी है। कहानी के अनुसार मन्दिर में कुछ बच्चे सावन में झूला झूल रहे थे किसी को स्वप्न में माता के दर्शन हुए। माता ने भी झूला झूलने की इक्च्छा जाहिर की। अगले ही दिन माता की मूर्ति को झूला झूलाया गया तभी से यह देवी झूला देवी के नाम से प्रसिद्ध हुई और यह मन्दिर झूला देवी मन्दिर के नाम से।
हम लगभग शाम के 6:30 पर झूला देवी मन्दिर पहुंचे। मन्दिर तक गाडी चली जाती है। छोटा सा ही मन्दिर है। मन्दिर के अंदर बहुत सी घंटिया हर जगह बंधी हुई है। इनको देखकर ही पता चलता है की इस मन्दिर के प्रति लोगो की बहुत आस्था है। जब हम मन्दिर पहुँचे तो मन्दिर में कोई नही था। कुछ देर बाद एक महिला आई जो मन्दिर में ही बने एक कमरे में रहती है और वही इस मन्दिर की पूजा पाठ करती है। मतलब मन्दिर की पूजारीन वही है। महिला से हमने प्रसाद चढवाया व मन्दिर के बारे में जानकारी भी ली। मन्दिर के बाहर जहां से हमने प्रसाद लिया था वह भी इन्ही ही की दुकान है। मन्दिर में भैरव नाथ व अन्य कुछ और भी देवता के मन्दिर बने है। लेकिन ज्यादा आकृषित मन्दिर में लगी घंटे घंटिया लग रही थी। मेरे साथ आए मेरे साले ललित ने भी एक मनोकामना की घंटी यहां पर बांध दी। अब अंधेरा हो चला था और भूख भी जोरो से लग रही थी। इसलिए अब हम लोग मन्दिर से चल पडे। और रानीखेत के मैन बाजार जिसे सदर बाजार कहते है वहां पर एक रेस्टोरेंट में खाना खाने पहुंचे। कुछ देर बाद खाना आ गया। खाना खाने के पश्चात हमने बराबर में एक मिष्ठान की दुकान से कुछ बाल मिठाई ली खाने के लिए। बाल मिठाई ताजी थी इसलिए स्वाद भी बढिया लग रहा था। अब हम यहां से चल पडे। अब लगभग रानीखेत विरान नजर आ रहा था। लग रहा था की यहां पर कोई रहता ही नही है। गोल्फ कोर्स पहुँचे। वहा से कुछ किलोमीटर आगे चलते हुए होटल सहज पहुचं गए। और फिर सोने के लिए अपने अपने कमरो में चले गए।
|
झूला देवी मंदिर , रानीखेत |
|
झूला देवी की मूर्ति |
|
झूला देवी का मुख्य मंदिर |
|
एक अन्य मंदिर |
|
मंदिर और घंटिया |
|
मंदिर में लगी घंटे ,घंटिया जिन्हे लोगो ने मन्नत के लिए बाँधी है। |
बहुत बढ़िया लिखा है त्यागी जी सच में रानीखेत बहुत खूबसूरत जगह है मुझे भी बहुत पसंद है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जावेद भाई।
हटाएंरानीखेत बहुत सुंदर है और बहुत सी यादें जुड़ी हैं इसके साथ
जवाब देंहटाएंधन्यवाद हर्षिता जी। रानीखेत से अलमोडा है ही कितना दूर और अलमोडा आपका शहर है तो वाजिब है की आपकी बहुत सी यादें यहां से भी जुड़ी होंगी।
हटाएंसुन्दर यात्रा सनस्मरण
जवाब देंहटाएंधन्यवाद हितेश जी।
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11-05-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2630 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
आभार आपका दिलबाग विर्क जी।
हटाएंबढ़िया जगह है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद विनोद भाई।
हटाएंखूबसूरत जगह. कुमाओं मैं कम ही घूमा हूँ. अब जाने की ललक बढ़ रही है.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद विकास नैनवाल जी। अब की बार कुमाऊँ ही हो आओ अपने सफर मै बहुत कुछ देखने को मिलेगा आपको।
हटाएंbahut acha vivran, photo aur vritanta sab kuch badhiya,
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अभयानंद सिन्हा जी।
हटाएंबहुत बढ़िया सचिन भाई ।शानदार चित्र और भरपुर जानकारी ।💐💐
जवाब देंहटाएंधन्यवाद नरेश जी।
हटाएंNice post, The Jhula Temple, constructed some 400 years back honoring the Goddess Durga, who protected them from man-eating tigers.
जवाब देंहटाएंthanks mr. journetmart for like my post...
हटाएंबढ़िया पोस्ट सचिन जी.... रानीखेत बहुत सुन्दर है , कैंट एरिया होने के कारण नये निर्माण आसानी से नहीं होते , इसी कारण यहाँ पर सुन्दरता कायम है.... रानीखेत कई बार जा चुका हूँ. फिर भी झूला देवी मंदिर के बारे में जानकारी आज हुई....
जवाब देंहटाएंजी रितेश जी कैंट एरिया की वजह से यहां पर ज्यादा निर्माण नही हो सकता है इसलिए यहां पर कुछ शांति है। झूला देवी मन्दिर व पास मे राम मन्दिर भी है आप जरूर होकर आना।
हटाएंओ तेरी की ,रानी खेत में इतनी चीजे थी देखने लायक ओर हमारा ड्रायवर बोलता है कि कुछ नही है उफ्फ , यहां के स्थानीय लोग कितने नालायक होते है इंसान कितनी मुश्किलो से यहां पहुंचता है और ये लोग गुमराह करते है । झूला देवी का मंदिर और गोल्फ मैदान न देखने का अफसोस है । चलो तुम्हारी पोस्ट के जरिये ये सब दिख गया ।
जवाब देंहटाएंबुआ जी आपको कोई गलत गाईड मिल गया लगता है जबकी वहां के लोग बडे मिलनसार होते है। कोई नही कभी रानीखेत आए दोबारा तब आप इन जगहों पर जरूर होकर आना। धन्यवाद बुआ जी
हटाएंRanikhet bahut sundar h or mene jhula devi mata ke darshan kie or manat bhi mangi mujhe pura vishwash h ki meri manat puri hogi
हटाएंJia maa jhula devi
Ranikhet bahut sundar h or mene jhula devi mata ke darshan kie or manat bhi mangi mujhe pura vishwash h ki meri manat puri hogi
हटाएंJia maa jhula devi
शुक्रिया मित्र... आपकी मन्नत अवश्य पूरी होगी। जय माता झूला देवी
हटाएं