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ज्वाला देवी के दर्शन करने के पश्चात हम होटल पहुचें ओर होटल वाले का हिसाब कर हम कांगडा की तरफ चल पडे। अब हमारा लक्ष्य केवल गाडी ठीक कराना ही था। वैसे गाड़ी केवल आवाज ही कर रही थी पर चल एकदम ठीक रही थी। लेकिन जो कमी थी उसको ठीक कराना ही उचित होता है।
हमे ज्वाला देवी के दर्शन करने मे लगभग दो घन्टो का समय लग गया था। इसलिए हम लगभग दोपहर के 12 बजे ज्वालादेवी से कांगडा शहर के लिए चले जो लगभग 36km की दूरी पर था।रास्ते में एक कस्बा पड़ता है नाम था रानीताल।लगा की यहां जरूर झील वगैरह होगी पर वहां पर ऐसा कुछ नही था वहा पर खाने के लिए बहुत सारे शाकाहारी वेष्णो ढाबे जरूर थे। हमने भी सुबह से कुछ खाया नही था। इसलिए यहीं पर एक पंजाबी ढाबे पर गाड़ी लगा दी ओर खाना खाया।खाना खाने के बाद हम यहां से कांगडा की तरफ चल पडे वैसे रानीताल से पठानकोट वाली मुख्य सडक तक रास्ता जाता है,ओर पठानकोट से जोगिन्दरनगर तक चलने वाली रेल भी यहां से होकर गुजरती है जिसकी पटरी कई बार पूरे रास्ते दिखती रही,कही कही रेलवे के सुन्दर पुल भी दिखाई दिए।हम कुछ ही देर बाद कांगडा शहर पहुचं जाते है वही पता चलता है की कांगडा से लगभग 20km दूरी पर व हाईवे न-20 (पठानकोट से मंडी) पर स्थित एक कस्बे नगरोटा बांग्वा मे टोयटा गाडी का सर्विस स्टेशन है। हम सीधे उसी रास्ते पर हो लिए। यह रास्ता बहुत सुन्दर था। कुछ दूर बर्फ के पहाड दिख रहे थे। हरे भरे खेत खलियान सडक के किनारे किनारे चल रहे थे। यह 20km कब खत्म हो गए पता ही नही चला।हम दोपहर के लगभग 2:30बजे नगरोटा में टोयटा के शौरूम पहुचें। अमरीष जी व ड्राइवर साहब गाडी के साथ अन्दर चले गए ओर हम बाकी सब वही पर बने वेटिंग रूम मे बैठ गए। गाडी मे कम से कम दो घन्टे लगने थे इसलिए मैने ओर आयुष, पियुष ने तय किया की हम या तो पैदल या फिर किसी ओर वाहन से चामुण्डा चले जाऐगे जो यहा से केवल 6km की दूरी पर ही है । लेकिन कुछ देर बाद एक बुरी खबर मिली की गाड़ी यहां ठीक नही हो सकती है क्योकीं जो बैरिंग टुटा है वो या तो मन्डी वर्कशोप पर मिलेगा या फिर जलंधर वर्कशोप पर। ओर अगर वह वहा से वह पुर्जा मंगाते है भी तो कम से कम तीन दिन लग जाएगे। अब हमारी चिंता ओर बढ गई। लेकिन उन्होंने हमे कांगडा से लगभग 5kmदूरी पर गगल नामक जगह बताई जहां पर आपकी गाड़ी ठीक हो सकती है। उसने हमे एक आदमी का मोबाइल नम्बर भी दिया। ओर कहा की आप इस के पास चले जाना यह जरूर कैसे ना कैसे आपकी गाड़ी ठीक कर देगा।मेने उस आदमी से बात की ओर हमारी गाड़ी में क्या खराबी है वो भी बता दिया। उसने कहा की आपकी गाड़ी ठीक हो जाएगी । आप शाम के 6 बजे तक आ जाना।
अब हमे कुछ अच्छा सा महसूस हुआ। इसलिए हमने चामुंडा देवी जाने का निर्णय लिया। हम नगरोटा से कुछ दूरी चलके बांये तरफ जाते रास्ते पर मुड गए यह रास्ता सीधा चामुंडा देवी मन्दिर तक जाता है तथा धर्मशाला से जो रास्ता पालमपुर जाता है वहा पर मिल जाता है । हम कुछ ही मिनटो में मन्दिर पहुचं गए। चामुंडा माता के दर्शन किये । (चामुंडा माता के दर्शन अगली पोस्ट में लिखुंगा)
दर्शन करने के बाद हम हाईवे न-20 से होते हुए। लगभग शाम के 6 बजे गगल पहुँचे । गगल एक छोटा सा शहर है जहां पर हमे सभी प्रकार की दुकानें देखने को मिली। यहां पर हर जरूरत का समान मिल जाता है। यहां से कांगडा 6 व धर्मशाला 10 की दूरी पर है। यहा पर एयरपोर्ट भी है गगल एयरपोर्ट लेकिन यह धर्मशाला एयरपोर्ट के नाम से ज्यादा जाना जाता है।
यहां आकर हमने एक बार ओर उस आदमी को फोन मिलाया तो उसने कहा की इंडियन आयल के पम्प के पास ही मेरी दुकान है आप इसी रास्ते पर सीधे चले आओ। हम वहां से सीधे चलते हुए उसकी दुकान पर पहुचें । उसने हमारी गाडी को खोलना चालू किया ओर अल्टिनैटर का पुली संग बैरिंग नया डाल दिया। गाड़ी अब बिल्कुल ठीक हो गई थी कोई आवाज नही आ रही थी। उसने हमसे 3000 रू मांगे जो हमने उसे दे दिए। पर उसने कहा की पता नही आपकी गाड़ी कैसे चल रही थी। हमने पुछा क्यो भाई ऐसा क्या हो गया था?
उसने बताया की बैरिंग की अन्दर की सारी गोली कट कट कर बाहर निकल गई थी ओर उपर से इस पर बैल्ट चल रही थी। जब गोली ही नही थी तो बैरिंग कैसे चल रहा था ओर बैल्ट उस पर कैसे टिकी थी। जब हमने उसे बताया की हम कल से ऐसी हालत में ही घुम रहे है तो वह भी हैरान हो गया की गाड़ी ऐसे हालत में,कैसे चल रही थी। खैर हम तो इसे माता का चमत्कार ही कहेगे।
यात्रा अभी जारी है..............
हमे ज्वाला देवी के दर्शन करने मे लगभग दो घन्टो का समय लग गया था। इसलिए हम लगभग दोपहर के 12 बजे ज्वालादेवी से कांगडा शहर के लिए चले जो लगभग 36km की दूरी पर था।रास्ते में एक कस्बा पड़ता है नाम था रानीताल।लगा की यहां जरूर झील वगैरह होगी पर वहां पर ऐसा कुछ नही था वहा पर खाने के लिए बहुत सारे शाकाहारी वेष्णो ढाबे जरूर थे। हमने भी सुबह से कुछ खाया नही था। इसलिए यहीं पर एक पंजाबी ढाबे पर गाड़ी लगा दी ओर खाना खाया।खाना खाने के बाद हम यहां से कांगडा की तरफ चल पडे वैसे रानीताल से पठानकोट वाली मुख्य सडक तक रास्ता जाता है,ओर पठानकोट से जोगिन्दरनगर तक चलने वाली रेल भी यहां से होकर गुजरती है जिसकी पटरी कई बार पूरे रास्ते दिखती रही,कही कही रेलवे के सुन्दर पुल भी दिखाई दिए।हम कुछ ही देर बाद कांगडा शहर पहुचं जाते है वही पता चलता है की कांगडा से लगभग 20km दूरी पर व हाईवे न-20 (पठानकोट से मंडी) पर स्थित एक कस्बे नगरोटा बांग्वा मे टोयटा गाडी का सर्विस स्टेशन है। हम सीधे उसी रास्ते पर हो लिए। यह रास्ता बहुत सुन्दर था। कुछ दूर बर्फ के पहाड दिख रहे थे। हरे भरे खेत खलियान सडक के किनारे किनारे चल रहे थे। यह 20km कब खत्म हो गए पता ही नही चला।हम दोपहर के लगभग 2:30बजे नगरोटा में टोयटा के शौरूम पहुचें। अमरीष जी व ड्राइवर साहब गाडी के साथ अन्दर चले गए ओर हम बाकी सब वही पर बने वेटिंग रूम मे बैठ गए। गाडी मे कम से कम दो घन्टे लगने थे इसलिए मैने ओर आयुष, पियुष ने तय किया की हम या तो पैदल या फिर किसी ओर वाहन से चामुण्डा चले जाऐगे जो यहा से केवल 6km की दूरी पर ही है । लेकिन कुछ देर बाद एक बुरी खबर मिली की गाड़ी यहां ठीक नही हो सकती है क्योकीं जो बैरिंग टुटा है वो या तो मन्डी वर्कशोप पर मिलेगा या फिर जलंधर वर्कशोप पर। ओर अगर वह वहा से वह पुर्जा मंगाते है भी तो कम से कम तीन दिन लग जाएगे। अब हमारी चिंता ओर बढ गई। लेकिन उन्होंने हमे कांगडा से लगभग 5kmदूरी पर गगल नामक जगह बताई जहां पर आपकी गाड़ी ठीक हो सकती है। उसने हमे एक आदमी का मोबाइल नम्बर भी दिया। ओर कहा की आप इस के पास चले जाना यह जरूर कैसे ना कैसे आपकी गाड़ी ठीक कर देगा।मेने उस आदमी से बात की ओर हमारी गाड़ी में क्या खराबी है वो भी बता दिया। उसने कहा की आपकी गाड़ी ठीक हो जाएगी । आप शाम के 6 बजे तक आ जाना।
अब हमे कुछ अच्छा सा महसूस हुआ। इसलिए हमने चामुंडा देवी जाने का निर्णय लिया। हम नगरोटा से कुछ दूरी चलके बांये तरफ जाते रास्ते पर मुड गए यह रास्ता सीधा चामुंडा देवी मन्दिर तक जाता है तथा धर्मशाला से जो रास्ता पालमपुर जाता है वहा पर मिल जाता है । हम कुछ ही मिनटो में मन्दिर पहुचं गए। चामुंडा माता के दर्शन किये । (चामुंडा माता के दर्शन अगली पोस्ट में लिखुंगा)
दर्शन करने के बाद हम हाईवे न-20 से होते हुए। लगभग शाम के 6 बजे गगल पहुँचे । गगल एक छोटा सा शहर है जहां पर हमे सभी प्रकार की दुकानें देखने को मिली। यहां पर हर जरूरत का समान मिल जाता है। यहां से कांगडा 6 व धर्मशाला 10 की दूरी पर है। यहा पर एयरपोर्ट भी है गगल एयरपोर्ट लेकिन यह धर्मशाला एयरपोर्ट के नाम से ज्यादा जाना जाता है।
यहां आकर हमने एक बार ओर उस आदमी को फोन मिलाया तो उसने कहा की इंडियन आयल के पम्प के पास ही मेरी दुकान है आप इसी रास्ते पर सीधे चले आओ। हम वहां से सीधे चलते हुए उसकी दुकान पर पहुचें । उसने हमारी गाडी को खोलना चालू किया ओर अल्टिनैटर का पुली संग बैरिंग नया डाल दिया। गाड़ी अब बिल्कुल ठीक हो गई थी कोई आवाज नही आ रही थी। उसने हमसे 3000 रू मांगे जो हमने उसे दे दिए। पर उसने कहा की पता नही आपकी गाड़ी कैसे चल रही थी। हमने पुछा क्यो भाई ऐसा क्या हो गया था?
उसने बताया की बैरिंग की अन्दर की सारी गोली कट कट कर बाहर निकल गई थी ओर उपर से इस पर बैल्ट चल रही थी। जब गोली ही नही थी तो बैरिंग कैसे चल रहा था ओर बैल्ट उस पर कैसे टिकी थी। जब हमने उसे बताया की हम कल से ऐसी हालत में ही घुम रहे है तो वह भी हैरान हो गया की गाड़ी ऐसे हालत में,कैसे चल रही थी। खैर हम तो इसे माता का चमत्कार ही कहेगे।
यात्रा अभी जारी है..............
Bhai post ko jara Bada karo
जवाब देंहटाएंPhotoMast aa ye hai
सुझाव के लिए शुक्रिया विनोद जी..
हटाएंलेकिन यह पोस्ट केवल गाड़ी ठीक कराने पर ही थी इसलिए ओर कुछ नही लिखा गया है।